आईसीयू में मौत की खबरों की बौखलाहट की चैट वायरल.
दमोह। कोविड-19 संक्रमण काल में हर व्यक्ति को डॉक्टर में भगवान नजर आता रहा है ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की सेवाएं अनेक मामलों में सफेद हाथी साबित होती नजर आई हैं ऐसे में हाथी के दांत खाने के और दिखाने की ओर वाली कहावत की पुष्टि होती दिखती है फिलहाल हम बात कर रहे हैं स्वास्थ्य विभाग के उपसंचालक के विजिट के दौरान सामने आए कोरोना से मौत के आंकड़ों की..
समीक्षा में कोरोना से 295 मौत, स्वास्थ्य बुलेटिन में दर्शा रहे मात्र 175 मौत..
दमोह। उप संचालक स्वास्थ्य डॉ. व्ही. के. खरे ने मंगलवार को जिला चिकित्सालय के भ्रमण दौरान कोविड-19 के तहत पॉजिटिव मरीजों के उपचार, स्वास्थ्य, देखभाल, कोविड-19 से हुई मौत तथा कोविड-19 फेज-3 संबंधी तैयारियों की समीक्षा की। इस दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संगीता त्रिवेदी, सिविल सर्जन ममता तिमोरी सहित जिला चिकित्सालय के चिकित्सक मौजूद रहे।
समीक्षा के दौरान पाया गया कि, कोविड-19 फेस 1 एवं फेस-2 के दौरान डीसीएचसी इकाई में भर्ती कुल 295 मरीजों की मौत हुई। मौत का विश्लेषण करने पर पाया कि, मरीजों को उपचार कोविड-19 के प्रोटोकॉल अनुसार दिया गया किंतु मरीजों की बेहद गंभीर स्थिति होने के कारण ऐसे मरीजों को तमाम कोशिशों के बावजूद बचाया नहीं जा सका। इस दौरान जिला चिकित्सालय से 60 मरीजों को रिफर भी किया गया। कोविड फेस 2 के दौरान माह अप्रैल से 15 जून तक डीसीएचसी इकाई दमोह में 1159 मरीजों भर्ती हुये जिसमें से गंभीर 175 मरीजों की जान नहीं बचाई जा सकी।
इधर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए जाने वाले प्रतिदिन के कोरोना बुलेटिन में अभी तक के यानि दोनो फेज में कोरोना से मौत के आंकड़े सिर्फ 175 ही दर्शाए जा रहे है। जो कहीं न कहीं बड़ी गड़बड़ी या तथ्यों को छुपाने की ओर इशारा करते है।
पत्रिका की खबर का बदला पत्रकारों से लेने की तैयारी..
वहीं दूसरी ओर आईसीयू में हुई मौतों को लेकर लगातार छपी खबरों बौखलाहट में मीडिया को सबक सिखाने जैसी मोबाइल चैट की जिसके वायरल होने के बाद पत्रकारों में आक्रोश पूर्ण माहौल है। दरअसल जिला अस्पताल के आईसीयू में मरीजों की लगातार मौत को लेकर पत्रिका द्वारा लगातार खबरों का प्रकाशन करके व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए जाते रहे थे
जिसके बाद मंगलवार को सागर से उप संचालक स्वास्थ्य डॉ. व्ही. के. खरे दमोह पहुंचे थे जहां उन्होंने कोरोना की तीसरी लहर की तैयारियों के साथ कोरोना से हुई मौत के मामलों को लेकर भी जानकारी ली थी।
इधर पत्रिका में छपी उपरोक्त खबर की कटिंग व्हाट्सएप पर डॉक्टरों के एक ग्रुप में पहुंचने के बाद सिविल सर्जन सहित कुछ अन्य डॉक्टरों की प्रतिक्रिया सामने आई है। जिसमे मीडिया या उनके परिजनों को इलाज के मामले में अस्पताल से बाहर का रास्ता दिखाने अर्थात जबलपुर सागर रैफर करने की मंशा जताई गई है।
उपरोक्त व्हाट्सएप चैट सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अनेक पत्रकारों ने हालात से अवगत कराने कलेक्टर से भी मुलाकात करने की कोशिश की बाद में एडीएम को हालात से अवगत कराया। पिक्चर अभी बाकी है..
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