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नाम बड़े और दर्शन छोटे की कहावत को चरितार्थ करते प्रधानमंत्री सड़क के चौकाने वाले हालात .. दमोह कटनी स्टेट हाइवे से पटेरा ब्लाक के जोगी डाबर जाने वाले मार्ग पर पांच करोड़ खर्च.. लेकिन 6 साल से पहाड़ी घाट अधूरा पड़े रहने से न जननी वाहन गांव पहुच पाते और न एंबुलेंस..

 जोगीडाबर मार्ग निर्माण के बाद भी लोग आवागमन से वंचित


दमोह। कटनी दमोह स्टेट हाईवे से पटेरा ब्लॉक के जोगी डाबर गांव तक जाने के लिए वर्ष 2013 में पांच करोड़ की लागत से प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत साढ़े 9 किमी लंबी सड़क को मंजूरी दी गई थी जिसका निर्माण कार्य चर्चित ठेकेदार राजेंद्र सिंह बग्गा को दिया गया था। नवंबर 2015 में ठेकेदार ने सड़क का करीब एक किमी का घाट निर्माण और डामरीकरण कार्य छोड़कर शेष कार्य पूर्ण होना दर्शा कर भुगतान प्राप्त कर लिया। इसके बाद 5 साल तक सड़क के मेंटेनेंस के नाम पर विभाग के अधिकारी और ठेकेदार राशि का बंदर बांट करते रहे।  


दमोह कटनी स्टेट हाईवे पर लगा प्रधानमंत्री सड़क योजना के यह प्रगति बोर्ड बता रहे हैं कि 9.39 किमी लंबे जोगीडावर मार्ग का 8.78 किमी हिस्सा डामरीकरत है। जिसमे 25 पुलियों का निर्माण कराया गया है। अर्थात स्वीकृत डामरीकरण मार्ग में से करीब आधा किलो मीटर सड़क ही बिना डामरीकरण की है। हमारी टीम जब मेन रोड से जोगी डाबर गांव की ओर जाने वाली प्रधानमंत्री सड़क से गांव की ओर रवाना हुई तो कुछ किलोमीटर चलने के बाद ही डामर रोड खत्म हो गई और फिर शुरू हुआ पहाड़ी उबड़ खाबड़ पगडंडी नुमा मार्ग करीब 1 किलोमीटर से अधिक लंबा पहाड़ी रास्ता खत्म होने के बाद एक बार फिर डामर की उखड़ी हुई सड़क नजर आई जो जोगी डाबर गांव तक पहुंचती थी। 


जोगी डाबर गांव के दूसरी ओर व्यारमा नदी बहती है। जिस पर पुल नही होने से साल में 6 महीने आवागमन बन्द रहता है। बारिस के चार महीनों में गांव वाले आवागमन के लिए पूरी तरह से पहाड़ वाले रास्ते पर निर्भर रहते हैं लेकिन वहां से वाहनों की आवाजाही नहीं हो पाने की वजह से ना तो जननी वाहन पहुंच पाते हैं और ना 108 एंबुलेंस ऐसे में ज्यादा बीमार और डिलीवरी वाली महिलाओं को खटिया पर लेटा कर कंधों पर उठाकर पैदल ले जाने को ग्रामीण मजबूर रहते हैं। 



जोगीडावर मार्ग के करीब एक किलोमीटर पहाड़ी घाट का निर्माण नही हो पाने के मामले में ग्रामीण जन साफ तौर पर कुछ भी नहीं बता पाते उनका इतना ही कहना है ठेकेदार और वन विभाग के बीच विवाद के चलते काम रुका हुआ है तथा मामला कोर्ट में है। यानी इस विवाद को भी 5 साल हो चुके हैं और इसका कोई हल नहीं निकला है ऐसे में 5 करोड़ से अधिक राशि की सड़क ग्रामीणों के आवागमन के उपयोग में नहीं आ रही है खासकर जब बारिश के दिनों में नदी आ जाने से टापू जैसे हालात निर्मित हो जाते हैं तब ग्रामीणों को मजबूरी में पैदल ही बीमार मरीजों को लेकर पहाड़ी जाट को पार करना पड़ता है।


 इधर सूत्रों का कहना है कि ठेकेदार द्वारा घाट से रास्ता निकालने में पहाड़ की ज्यादा कटिंग करके निकली हुई पत्थर मुरम आदि सामग्री का उपयोग सड़क निर्माण में ही कर लिया गया। जिस पर वन विभाग द्वारा ठेकेदार की मशीन आदि जप्त करने की कार्यवाही की गई वही ठेकेदार पूर्व में दी गई मंजूरी के आधार पर वन विभाग के खिलाफ कोर्ट में चला गया। मामला अभी भी कोर्ट में लंबित बताया जा रहा है। जिस वजह से बीच का करीब 1 किलोमीटर का कार्य अधूरा पड़ा रह गया है। 

मामले में प्रधानमंत्री सड़क योजना के अधिकारी यह कह कर अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करते नजर आते हैं कि यह मामला जिला योजना समिति की बैठक से लेकर विधान सभा तक में उठ चुका है वही जल्द ही अधूरे पड़े कार्य को कराने के नए टेंडर आदि होने वाले हैं जिससे आगामी वर्ष में बारिश के दिनों में भी ग्रामीणों को आवागमन की सुविधा मिलने लगेगी।


दूसरी ओर इस सड़क के निर्माण से लेकर 5 साल के मेंटेनेंस में खर्च हुई राशि में इंजीनियर ठेकेदार की मिलीभगत से शासकीय धन का जमकर बंदर बांट साफ नजर आता है। सड़क के दोनों ओर साइड सोल्जर नाली आदि का नामोनिशान नहीं है वही बोर्ड में दर्ज 25 पुलिया में से आधा दर्जन पुलिया गायब है। वही घाट के उस तरफ वाहनों की आवाजाही बंद रहने की वजह से 5 साल तक उस तरफ की सड़क का मेंटेनेंस कैसे कर दिया गया यह भी बड़ा प्रश्न है। कुल मिलाकर नाम बड़े और दर्शन छोटे की कहावत को प्रधानमंत्री सड़क योजना तहत निर्मित यह मार्ग चरितार्थ करता नजर आता है। पिक्चर अभी बाकी है..

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2 Comments

  1. पिछले 15 सालों से भाजपा शासन काल में लगातार भ्रष्टाचार के अलावा हुआ क्या है, कोई एक काम पूरा हुआ हो तो बताओ,,

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  2. दमोह जिले के चारों तरफ की सारी सड़के देख लो पिछले 15 साल में किसी पर भी सील कोट नहीं हुआ सील कोट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया ,किसी जनप्रतिनिधि अधिकारी को दिखाई भी नहीं दिया जिसने भ्रष्टाचार किया वो दमोह से प्रमोट होकर गया,,

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