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हिम्मते मर्दे..मर्दे खुदा.. दिल्ली में गुटखा सिगरेट बेचने बाले दिव्यांग रघुनाथ के हौसले को सलाम.. कोरोना कर्फ्यू के लॉक डाउन में साधन नहीं मिला तो 18 दिन में ट्राई साइकिल से दिल्ली से सागर होते हुए पहुंच गए गढ़ाकोटा..

 18 दिन में ट्राई साइकिल से दिल्ली से पहुंच गए गढ़ाकोटा

गढ़ाकोटा, सागर। दिल्ली में गुटखा सिगरेट बेचकर अपना और परिवार का पेट पाल रहे दिव्यांग को जब लॉकडाउन में परिवार की चिंता सताने लगी, तो उन्होंने ट्राई साइकिल से ही घर का रुख किया. 18 दिन तक ट्राई साइकिल चलाकर दिल्ली से सागर के गढ़ाकोटा पहुंचे दिव्यांग के हौसले की आज सभी लोग तारीफ कर रहे हैं। कोरोना महामारी के कारण बनी परिस्थितियों के चलते कई ऐसे दृश्य और कहानियां सुनने को मिल रही हैं, जो सोचने पर मजबूर कर देती हैं. इसी तरह एक दिव्यांग ने कुछ ऐसा कर दिखाया जिसके हौसले को सब सैल्यूट कर रहे हैं, दरअसल, दिव्यांग 18 दिन तक ट्राई साइकिल चलाकर दिल्ली से सागर के गढ़ाकोटा पहुंच गया है. रघुनाथ रोजगार की तलाश में दिल्ली गए थे और दिल्ली में गुटखा और सिगरेट बेचकर अपना पेट पालते थे, लेकिन कोरोना लॉकडाउन के कारण जब उना धंधा-पानी बैठ गया और घर के लोगों की चिंता सताने लगी, तो बिना किसी की परवाह किए अपनी ट्राई साइकिल से दिल्ली से गढ़ाकोटा के लिए चल पड़े।

रघुनाथ के जुनून के आगे सब बाधाए फीकी पड़ती गई.

इस सफर के दौरान रास्ते में आंधी तूफान और बारिश ने दिव्यांग का रास्ता तो रोका, लेकिन हौसलों के आगे सभी ने घुटने टेक दिए. दिव्यांग का रास्ता रोकने के लिए एक बाद एक कई मुश्किलें आईं,लेकिन उनके जज्बे को सलाम करते हुए सब रास्ता देती बनीं. दिव्यांग फिलहाल अपने घर गढ़ाकोटा पहुंच चुके हैं और अभी अपने परिजनों के साथ रह रहे हैं। गढ़ाकोटा के विवेकानंद वार्ड में रहने वाले रघुनाथ एक पैर से दिव्यांग हैं. वे रोजी-रोटी की तलाश में दो माह पहले दिल्ली गए हुए थे और उन्होंने गुटखा सिगरेट बेंचकर अपना काम भी शुरू कर दिया था. धंधा धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगा था, लेकिन कोरोना लॉकडाउन के कारण धंधा बैठ गया. इस महामारी के दौर में उन्हें अपने घर-परिवार वालों की चिंता सताने लगी, तो रघुनाथ अपनी ट्राई साइकिल चलाते हुए दिल्ली से 18 दिनों में गढ़ाकोटा पहुच गए.

हालात सुधरने पर फिर जाएंगे दिल्ली

घर पहुंचे दिव्यांग रघुनाथ फिलहाल, काफी खुश हैं. हालांकि, ये अलग बात है कि उनके सामने आर्थिक संकट की खड़ी चट्टान अब और मजबूत हो गई है, क्योंकि रघुनाथ को अपना धंधा छोड़कर आना पड़ा है. संकट के दौर में दिव्यांग रघुनाथ के हौसले की हर तरफ तारीफ हो रही है. फिलहाल, रघुनाथ परिवार के बीच खुश हैं और अभी दिल्ली वापसी का मन नहीं है. गढ़ाकोटा से रवि सोनी की रिपोर्ट

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