सीटी स्कैन, एंबुलेंस को लेकर आपदा में अवसर जैसे हालात
दमोह। कोरोना संक्रमण काल में प्रशासन जहां ऑक्सीजन सिलेंडर इंजेक्शन सहित अन्य इंतजामों की व्यवस्था दुरुस्त करने में उलझा हुआ है वही मेडिकल लाइन से जुड़े कुछ लोग और संस्थान आपदा में अवसर तलाशते हुए कमाई में जुटे हुए हैं। यहां हम बात कर रहे हैं कुछ निजी अस्पतालों, सीटी स्कैन जांच सेंट्रो, लैब संचालकों तथा निजी एंबुलेंस वालों की। लेकिन इसके पहले बात करते हैं सीटी स्कैन मशीन की उपयोगिता और जरूरत की।
दमोह के पड़ोसी जिले और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के निर्वाचन क्षेत्र पन्ना से एक खबर निकल कर सामने आई है जिसमें बताया गया है कि क्षेत्रवासियों की मांग पर सांसद वीडी शर्मा ने सीटी स्कैन मशीन का जल्द पन्ना भिजवाने की बात कही है। जिसकी पुष्टि पन्ना कलेक्टर द्वारा यह जाने के बाद आज अखबारों में उसकी खबर छपने के साथ सोशल मीडिया पर भी जानकारी वायरल हुई है जिसके बाद अब दमोह वासी भी अपने सांसद और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल या अपेक्षा करते नजर आ रहे हैं कि जल्दी दमोह की जिला अस्पताल को भी सीटी स्कैन मशीन की सौगात दिलाने वह पहल करेंगे।
उल्लेखनीय की कोरोना संक्रमण काल में इन दिनों जिन भी मरीजों मैं कोरोना के लक्षण नजर आते हैं उनके सैंपल लिए जाने के साथ डॉक्टरों के द्वारा सीटी स्कैन कराने को लिखा जाता है। दमोह में फिलहाल दो स्थानों पर सीटी स्कैन जांच की जा रही है जिनमें मराठी गार्डन सिटी हॉस्पिटल के पास संचालित सीटी स्कैन जांच केंद्र में मरीज से सीटी स्कैन जांच शुल्क तीन हजार और साढ़े पांच हजार रूपए निर्धारित है। यहा जिले के अन्य क्षेत्रों से भी मरीजों को भेजा जा रहा है वहीं जिला अस्पताल के अलावा निजी अस्पतालों से भी मरीजों की जांच हेतु कतार लगी रहती है। सुबह से मरीजों के नंबर लगने के अलावा किस डॉक्टर की कितनी पर्ची आए हैं इसकी भी यहां बाकायदा एंट्री होती है।
कुल मिलाकर एक तरफ दमोह वासियों को मेडिकल कॉलेज का सब्जबाग दिखाया जा रहा है दूसरी ओर आपदा में सीटी स्कैन मशीन के इंतजाम कराने की तरफ जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के साथ पूर्व विधायक व भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह से भी लोग फिलहाल यह अपेक्षा कर रहे है कि मेडिकल जब बनेगा तब की बात फिलहाल सीटी स्केन मशीन तो दमोह को दिला ही दो। अब जबकि पन्ना सांसद पन्ना के लिए मशीन दिलाने की पहल कर चुके हैं ऐसे में दमोह की अपने सांसद से भी अपेक्षा होना लाजमी है। जिला अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन आ जाए तो गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों से लेकर मध्यमवर्गीय और आम मरीजों को राहत मिल सकती है। लेकिन जिला अस्पताल से जुड़े डॉक्टर सही सीटी स्कैन मशीन के चक्कर में पढ़ने की मानसिकता नहीं रखते तथा जब उनसे मशीन के बारे में चर्चा की जाती है वह कहने से नहीं चूकते की मशीन आ भी जाएगी तो इसे चलाने के लिए रेडियोलॉजिस्ट कहा से लाएंगे।
एंबुलेंस बालों ने आपदा में अवसर का रिकॉर्ड तोड़ा..
जिला अस्पताल के बाहर 24 घंटे सड़क पर डेरा जमाये रहने वाले जबलपुर आदि रेफर किए जाने वाले मरीजों के अलावा सीटी स्कैन जांच के लिए जाने वाले मरीजों पर अपनी गिद्ध दृष्टि जमाए रहते है। जिला अस्पताल तथा में निजी अस्पतालों से सीटी स्कैन सेंटर तक मरीज को ले जाने के बदले में आधे घंटे के दो से तीन हजार रुपए ले रहे है। वही जबलपुर जाने का किराया 15000 से शुरू होता है। जबलपुर में एक अस्पताल मैं जगह नहीं मिलने पर दूसरी में ले जाने पर दो से चार हजार रुपए शुल्क इनका और बढ़ जाता है।
ऑक्सीजन सिलेंडर की सुविधा के नाम पर एंबुलेंस वालों द्वारा वसूली जाने वाली अतिरिक्त राशि के बावजूद इस बात की कोई गारंटी नहीं रहती कि उनका सिलेंडर भरा ही होगा। इस तरह की लूट का खसोट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के साथ प्रमुख अखबार द्वारा इसकी खबर भी प्रकाशित की गई है इसके बावजूद प्रशासन एंबुलेंस वालों पर क्यों मेहरबान है यह बात आश्चर्य का विषय है। पिक्चर अभी बाकी है.
0 Comments