जबलपुर नाका पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में बिहार के दर्पण भैया का दीक्षा महोत्सव आज.. चौथे दिन 24 तीर्थंकरों के गर्भ कल्यणाक के अघ्र्य समर्पित कर गर्भ कल्याणक मनाया.. आचार्यश्री निर्भयसागर जी ने सौलह स्वनों के फल बताए..
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में गर्भ कल्याणक की धूम
दमोह। जबलपुर नाका पर श्री दिगंबर जैन पारसनाथ मंदिर में नवीन पंचमेरू जिनालय निर्माण के पश्चात वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज के ससंघ के सानिध्य में पंचमेरू पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन भक्ति भाव एवं धूमधाम के साथ चल रहा है। चौथे दिन 24 तीर्थंकरों के गर्भ कल्यणाक के अघ्र्य समर्पित कर गर्भ कल्याणक मनाया गया वहीं आचार्य श्री निर्भयसागर जी ने सौलह स्वनों के फल बताए।पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के पांचवे दिन रविवार को दोपहर में बिहार के दर्पण भैया का दीक्षा महोत्सव संपंन होगा।
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव पंडाल स्थल पालीटेक्निक कालेज परिसर में चल रहे भव्य आयोजन के दौरान महा पात्रों के साथ इंद्र इंद्राणी बने श्रावक जन भक्तिभाव के साथ पंच कल्याणक की क्रियाओं को संपन्न कर रहे हैं। आचार्य श्री निर्भय सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्य अभिषेक एवं आशीष शास्त्री सगरा बालों के निर्देशन में विधान की सभी धार्मिक क्रियाएं संपन्न हो रही हैं। देर रात माता मरु देवी को सोलह स्वप्न आने के बाद इनका फल राजा नाभि राय बताते है वही सौधर्म इंद्र भी भगवान के गर्भ अवतरण की जानकारी लगते ही अयोध्या नगरी पहुंच जाते हैं। अष्ट कुमारी देवी भी माता मरुदेवी की सेवा में जुट जाती है। वही राज दरबारियों के साथ सभी लोग भगवान के गर्भ कल्याणक की खुशियां मनाते हैं।
ब्रह्मचारी दर्पण भैया का मुनि दीक्षा महोत्सव आज..
आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज के सत्संग सानिध्य में जबलपुर नाका पंचकल्याणक महोत्सव अवसर पर 14 फरवरी को कार्यक्रम स्थल पॉलिटेक्निक कॉलेज परिसर में तैयार अयोध्या नगरी राज दरबार में पटना बिहार के दर्पण भैया की मुनि दीक्षा होने जा रही है। कार्यक्रम के चौथे दिन दर्पण भैया में श्रीफल भेंट करके दीक्षा देने के लिए आचार्य श्री के समक्ष पुनः निवेदन किया वही आज उनके आहार की क्रिया भी मुनिवर जैसी संपन्न हुई। इस अवसर पर आचार्य श्री के संघर्ष एक अन्य ब्रह्मचारी भैया ने भी मुनि दीक्षा देने हेतु निवेदन करने के साथ उन्हें भाव प्रकट की जिसके बाद आचार्य श्री उन्हें भी आशीर्वाद प्रदान किया लेकिन इनकी मुनि दीक्षा अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर होने की संभावना जताई जा रही है।
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के चौथे दिन प्रतिष्ठाचार्य आशीष अभिषेक शास्त्री बंधुओं ने अपनी टीम के साथ प्रातः बेला में नव देवता पूजन को संपन्न कराया उसके बाद भगवान के गर्भ कल्याणक के 24 अर्घ्य समर्पित किए गए। आज बसुंधरा नगर जैन मन्दिर महिला मंडल के द्वारा पूजन विधान के लिए प्रदान किया गया। दोपहर में भगवान की गर्भ कल्याणक क्रिया संपन्न कराई गई। इस अवसर पर विधान के महा पात्रों के साथ इंद्र इंद्राणी यो सहित बड़ी संख्या में श्रावक जनों की उपस्थिति रही।
शादी की सालगिरह पर शांतिधारा के साथ आचार्यश्री का मंगल आशीष.. आज प्रातः बेला में श्री जी के अभिषेक उपरांत शांति धारा करने का सौभाग्य तहसीलदार मुकेश जैन राकेश जैन परिवार से उनकी माताजी ने प्राप्त किया। वहीं दूसरी ओर से शांति धारा करने का सौभाग्य संजीव शाकाहारी ने अपनी शादी की 26 वीं सालगिरह के अवसर पर प्राप्त करते हुए आचार्यश्री निर्भय सागर जी महाराज से मंगल आशीष जी प्राप्त किया।
आचार्यश्री निर्भयसागर जी ने सौलह स्वनों के फल बताए
वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज ससंघ सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के चौथे दिन गर्भ कल्याणक महोत्सव मनाया गया । इस अवसर पर आचार्य श्री ने कहा पंचकल्याणक प्रतिष्ठा पंचम मोक्ष गति की प्राप्ति हेतु किया जाता है। पांच पापों को तज कर जब कोई आत्मा पंच परमेष्ठी की शरण में जाती है और पांच महा व्रतों को धारण करती है। तब वही आत्मा संसार के बंधन से मुक्त हो कर मोक्ष प्राप्त कर लेती है l आचार्य श्री ने कहा स्वपन एक विज्ञान है। सपने बूढ़े ,बच्चे, जवान ,स्त्री ,पुरुष और पशु पक्षिय इत्यादि सभी प्राणियों को आते हैं । स्वास्थ्य निद्रा और अस्वस्थ निद्रा दोनों में सपने आते हैं।
स्वास्थ्य निद्रा में देवोत्पन्न एवं अस्वस्थ निद्रा में दोसोत्पन्न सपने आते हैं । कुछ सपने दिन भर के किए गए क्रिया कलापों के संस्कार से आते हैं। जो बातें हम किसी को नहीं बता पाते हैं वे सभी बातें अचेतन मस्तिक पड़ी रहती है। वही सपने द्वारा रात में आ जाते हैं । उन सपनों का कोई फल नहीं होता है ।देवों के द्वारा उत्पन्न सपने फल दाई होते हैं अस्वस्थ अवस्था में आने वाले सपने भी निष्फल जाते हैं । तीर्थंकर , नारायण, प्रति नारायण एवं चक्रवर्ती के गर्भ मै आने से पूर्व उनकी मां को नियम से सपने आते हैं ।उनका फल उनके पति स्वामी बतलाते हैं। जिसे सुनकर मां अति प्रसन्न होती है ।
सोलह सपने का फल बताते हुए आचार्य श्री ने कहा तीर्थंकर की मां को सपने में हाथी ,बेल ,सिंह ,युगल माला, युगल मीन ,लक्ष्मी, पूर्ण सूर्य, चंद्रमा, भरा युगल कलश ,सरोवर, युगल मीन, समुद्र, सरोवर ,देव विमान ,नागेंद्र भवन, रत्न राशि ,निर्धूमअग्नि एवं सिहासन दिखाई देता है ।जिसका फल तीर्थंकर के पिता बतलाते हैं कि आप के गर्भ में आने वाला बालक उत्तम शरीर वाला ,भद्र परिणामी ,अनंत बल का धारी ,धर्म प्रवर्तक ,संपूर्ण लोक को आनंद देने वाला, तेजस्वी ,सुख वैभव संयुक्त ,1008 लक्षणों से युक्त ,केवल ज्ञानी ,सर्वगुण संपन्न ,जगतगुरु एवं सभी कर्मों को नाश करके मोक्ष प्राप्त करने वाला होगा । यह बात सुनकर तीर्थंकर की मां बहुत प्रसन्न होती है ।तीर्थंकर मां के गर्भ में आने के बाद अष्ट कुमारी देवियां सेवा में लग जाती हैं ।
आचार्य श्री ने कहा सेवा करना धर्म है । देश धर्म संस्कृति की रक्षा एवं सुख शांति की प्राप्ति के लिए सेवा करना चाहिए । माता पिता गुरु परिवार रोगी और सामाजिक प्राणी की सेवा करना चाहिए ।निस्वार्थ भाव से विनय विवेक समर्पण अपनत्व और ईमानदारी से सेवा करना चाहिए ।सेवा करने वाले को मेवा मिलता है ।सेवा करने वाला सहसणु उदार स्वावलंबी ईमानदार निष्कपट विवेकी और परोपकारी होना चाहिए।सेवा करने वाले परोपकारी जीव का हर व्यक्ति मित्र बनकर साथ देता है ।जो अपने आप को बड़ा मानता है वह अहंकार में आ जाता है ।अहंकार पतन का कारण होता है ।
आचार्य श्री ने कहा जो मान प्रतिष्ठा के लिए धन खर्च करता है वह मर कर हाथी बनता है।अहंकार अंदर से उठने वाला भूकंप है। क्रोध मुख से फूटने वाला ज्वालामुखी है । जब अहंकार को ठेस पहुंचती है तब क्रोध का ज्वाला मुखी फूट जाता है । जो विनाश का कारण ही है। इसलिए क्रोध और मान से बचना चाहिए। अभिमानी के दिल में प्रेम नहीं होता । मानी का कभी सिर नहीं झुकता। आयोजकों को आपने आयोजन की सफलता हेतु विनय शील होना चाहिए। विनय से झुकने वाला तीर्थंकर बनता है ।अहंकार में कड़ने वाला तीतर बनता है। विनयशील के लिए स्वर्ग और मोक्ष के द्वार खुले रहते हैं । क्रोधी मानी और हिंसा के लिए नरक के द्वार खुले रहते हैं। पंचकल्याणक स्वर्ग और मोक्ष के द्वार खोलने के लिए किया जाता है। आयुष जैन की रिपोर्ट
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