दुराचार के आरोपी पुलिस आरक्षक की जमानत निरस्त
दमोह। शादी करने का झांसा देकर अपने एसपीएम नगर स्थित सरकारी क्वार्टर में पीड़िता के साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाने वाले 15 दिन से जिला जेल में बंद दमोह में पदस्थ रहे आरक्षक की जमानत विशेष न्यायाधीश आर एस शर्मा ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए निरस्त कर दी। मामले में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक राजीव बद्री सिंह ठाकुर द्वारा की गई।अभियोजन अनुसार मामला इस प्रकार है, कथित पीड़िता की जान पहचान करीब 2 वर्ष पूर्व दमोह जिले में पदस्थ पुलिस आरक्षक देवेंद्र मिश्रा से हो गई थी। आरोपी देवेंद्र मिश्रा ने पीड़िता के साथ शादी करने का झांसा देकर कई बार अपने दमोह एसपीएम नगर के सरकारी पुलिस क्वार्टर में ले जाकर शारीरिक संबंध बनाए। दिनांक 28 जून 2020 को आरोपी अपने पिता के रिटायरमेंट कार्यक्रम में कटनी जाने की कहकर पीड़िता को उसके माता पिता के पास हिंडोरिया छोड़ आया। कुछ दिन बाद जब आरोपी ने पीड़िता से संपर्क नहीं किया, ना ही उसका मोबाइल उठाता था तो पीड़िता को मालूम करने पर जानकारी मिली कि आरोपी ने किसी राय जाति की लड़की से शादी कर ली है पीड़िता जब आरोपी से मिली तो उसने उसे संपर्क नहीं करने की बात कह कर धमकाया। पीड़िता ने अपने साथ हुई घटना के संबंध में थाना कोतवाली में भादवि की धारा 376 एवं एससीएसटी एक्ट की रिपोर्ट लिखाई।
आरोपी ने गिरफ्तार होने के बाद न्यायालय से जमानत मांगते हुए निवेदन किया कि पीड़िता से उसकी 3 साल पहले से जान पहचान है परंतु उसने कोई घटना नहीं की है, जब उसके द्वारा शादी कर ली तो पीड़िता ने नाराज होकर शादी तुड़वाने की बात कर 20 लाख रुपए मांगे और जब उसने पैसे नहीं दिए तो दिनांक 18 अक्टूबर 2020 को पीड़िता ने अपने साथियों के साथ उसके शासकीय आवास पर आकर उसके एवं उसकी पत्नी के साथ मारपीट की थी जिसके संबंध में उसकी पत्नी ने थाना कोतवाली में आवेदन दिया था और उसकी पत्नी का चिकित्सीय परीक्षण भी हुआ था, आरोपी ने यह भी कथन किया कि पीड़िता आदतन शिकायतकर्ता है, पूर्व में भी एक व्यक्ति के खिलाफ ऐसी रिपोर्ट की थी बाद में पैसे लेकर राजीनामा कर लिया था।
वही शासकीय अभिभाषक राजीव बद्री सिंह ठाकुर ने जमानत दिए जाने का विरोध करते हुए तर्क किए कि आरोपी को अगर जमानत का लाभ दिया जाता है तो वह अपने प्रभाव का लाभ उठाकर साक्ष्य एवं साक्षियों को प्रभावित करेगा एवं साक्षियों पर जबरन राजीनामा का दबाव बनाएगा। न्यायालय द्वारा आरोपी के विरुद्ध बने प्रकरण के तथ्य,परिस्थिति एवं अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत निरस्त करते हुए यह टिप्पणी भी की किआरोपी पुलिसकर्मी है और उसके विरुद्ध बलात्कार करने का अभियोग है जिससे अपराध की गंभीरता बढ़ जाती है ऐसी परिस्थिति में उसे जमानत नहीं दी जा सकती।
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