50 रुपए बचाने साइकिल पर बाइक रख 5 किमी चला
इस बाइक को ऑटो रिक्शा वाला उसके घर तक पहुंचाने के लिए सौ रुपए मांग रहा था। जबकि गोविंद ऑटो वाले को 50 रुपये देना चाहता था। ऑटो वाले से 50 रुपए में जब बात तय नही हुई तो गोविंद ने ऑटो वाले को दिए जाने वाले 50 रुपये बचाने के लिए 5 किलोमीटर का रास्ता साइकिल पर मोटरसाइकिल को लादकर करीब 2 घंटे में हंसी खुशी तय कर लिया। इस दौरान ना उसके चेहरे पर कोई थकान थी और ना ही माथे पर कोई शिकन। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज भी आम आदमी के लिए 50 सौ रुपए कितनी अहमियत रखते है।
दमोह। क्या आपने कभी साइकिल पर सवार होकर मोटर साइकिल को जाते देखा है ? यदि नहीं तो हम आपको दिखाते हैं। यह तस्वीर दमोह के सागर नाका इलाके की है। जहां से एक आम आदमी अपनी पुरानी खटारा साइकिल पर उससे कई गुना अधिक वजन की पुरानी बाइक को ले जा रहा है। महज 50 रुपए बचाने के लिए पांच किमी से अधिक का रास्ता साइकिल पर मोटरसाइकिल को रखकर तय करने वाला यह व्यक्ति दमोह के फुटेरा वार्ड महाकाली चौक के समीप का निवासी गोविंद है। जिसने यह पुरानी बाइक कुंवरपुर खेजरा क्षेत्र निवासी एक व्यक्ति से मात्र ढाई हजार रुपए में अर्थात कबाड़ के भाव मे खरीदी थी।
वहीं रोज बढ़ रहे पेट्रोल डीजल के दामो के साथ बढ़ती हुई महंगाई मैं रुपए की कीमत कैसे घट रही है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कम एवरेज वाली पुरानी बाइकों को लोग कबाड़ के भाव बेचने तैयार हैं लेकिन खरीददार नहीं मिल रहे। और जहां खरीददार मिल रहे हैं तो उनकी गुंजाइश ऑटो वालों को देने के लिए 50 रुपए की भी नहीं रहती। दूसरी ओर हम और आप किस तरह से प्रतिदिन सैकड़ों रुपए फालतू खर्च करने में कोई कसर नही छोड़ते। लिखने को बहुत कुछ लेकिन समझदार को इशारा काफी है। फालतू खर्च करने के पहले यदि हम भी अपने आसपास नजर डालें और ऐसे किसी जरूरतमंद की तलाश करके मदद करे तो तो निश्चित रूप से हमारे पैसों का सही सदुपयोग होगा। आओ आज से ही हम ऐसी कुछ पहल शुरू करें..अटल राजेन्द्र जैन
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