50 लाख की बीमा राशि की मांग को लेकर प्रदर्शन..
दमोह। जिला अस्पताल में कोविड-19 जांच कराने के लिए पहुंचने वाले मरीजों तथा उनके परिजनों के संक्रमण से बचने के लिए सुरक्षा अभाव के बीच अस्पताल के कर्मचारियों का भी संक्रमित होने का दौर लगातार जारी है। लैब टेक्नीशियन कंप्यूटर ऑपरेटर सहित अन्य कर्मचारियों के संक्रमित होने तथा एक वार्ड बॉय की संक्रमण के बाद इलाज के दौरान मौत हो जाने के बाद परिजनों के साथ अस्पताल के अन्य संविदा कर्मचारियों का गुस्सा आज खुलकर फूटता नजर आया।
जिला अस्पताल में डॉक्टर तथा चिकित्सक स्टाफ की कमी के बीच लंबे समय से रोगी कल्याण समिति के नाम मात्र के मानदेय पर दर्जनों कर्मचारी वार्ड वाय आदि स्टाफ की भूमिका का निर्वहन करते आ रहे हैं। ऐसे ही एक वार्ड वॉय केशव रैकवार की पिछले दिनों तबीयत बिगड़ने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उसकी कोविड-19 रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी। इलाज के दौरान शुक्रवार सुबह उसकी मौत की खबर सामने आने पर जिला अस्पताल का स्टाफ जहां श्रद्धांजलि देने एकत्रित हुआ था वही परिजन भी पहुंच गए थे। इस दौरान पीड़ित परिजनों को सिविल सर्जन द्वारा नाम मात्र की सहायता राशि देने की कोशिश की गई वह भड़क उठे। तथा उनके द्वारा शासन द्वारा निर्धारित स्वास्थ्य कर्मचारी की मृत्यु पर दिए जाने वाले 50 लाख रुपए के बीमा क्लेम की मांग की गई।
लेकिन केशव के रोगी कल्याण समिति से मानदेय पर होने की वजह से शासकीय स्वास्थ्य कर्मचारी की तरह आर्थिक मदद के प्रावधान से अस्पताल प्रबंधन द्वारा इंकार कर दिया गया जिसके बाद गुस्साए अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी तथा पर्यंत अंबेडकर चैक पर पहुंचकर धरने पर बैठ गए। उनका कहना था कि जब शासकीय स्वास्थ्य कर्मियों की तरह संविदा या रोगी कल्याण समिति के मानदेय वाले कर्मचारियों से सेवाएं ली जा रही थी तो उनकी मौत पर 50 लाख रुपए के प्रावधान लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा। सड़क पर स्वास्थ्य कर्मचारियों की नारेबाजी के साथ धरना प्रदर्शन के बाद मौके पर कोतवाली पुलिस पहुच गई। वही कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर भव्य त्रिपाठी को पीड़ित परिजनों को समझाइश देने के लिए भेजा लेकिन वह इसमें असफल रही।
भाजपा नेता ने आत्मदाह करने केरोसिन से स्नान किया
इस बीच जब देर तक जब कोई जिम्मेदार प्रदर्शनकारियों की मांगों का समाधान करने नहीं पहुंचा तो भाजपा नेता और युवा रैकवार समाज के प्रदेश अध्यक्ष मोंटी रैकवार ने टीआई एचएस पांडे की मौजूदगी में आत्मदाह करने के लिए खुद के ऊपर केरोसिन से भरी कुप्पी उड़ेल ली। इस दौरान टीआई व कुछ पुलिसकर्मीयों की वर्दी का कुछ हिस्सा भी केरोसिन से गीला हो गया। बाद में मोंटी रैकवार को कोतवाली भेज कर घटनाक्रम की सूचना कलेक्टर एसपी को दी गई जिसके बाद तहसीलदार बबीता राठौर अंबेडकर चैक पहुंची। जहां उन्होंने पीड़ित परिजनों और कर्मचारियों से चर्चा करते हुए 25000 रुपए की आर्थिक मदद का चेक प्रदान किया।
उसके बाद भी जब परिजनों ने धरना खत्म नहीं किया तो कलेक्टर से चर्चा उपरांत तहसीलदार ने उनकी मांग को शासन स्तर पर भेज कर निराकरण कराए जाने का भरोसा दिलाया इसके बाद ही स्वास्थ्य कर्मियों और पीड़ित परिजनों का धरना प्रदर्शन खत्म हुआ।
जान जोखिम में डालकर कर रहे हैं छोटे कर्मचारी काम
जिला अस्पताल में अनेक बरसों से रोगी कल्याण समिति के जरिए नाम मात्र के मानदेय पर कार्यरत कर्मचारी कोरोना संक्रमण काल मे भी नाम मात्र के मानदेय पर दिन-रात अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनके द्वारा अनेक बार मानदेय बढ़ाने तथा नियमित किए जाने जैसी मांग की जाती रही है लेकिन उनकी मांगों को दरकिनार करके सिविल सर्जन सहित अन्य अधिकारी अपने चहेतों को विभिन्न पदों पर भर्ती कराकर कराते रहे हैं।
इसके पहले भी हो चुकी है एक छोटे कर्मचारी की मौत
यह दूसरा मौका है जब मानदेय पर कार्यरत कर्मचारी की कोरोना संक्रमण काल में मौत हुई है महीने भर पूर्व वृद्ध आश्रम में कार्यरत मिथिलेश पांडे की भी कोरोना के संक्रमित होने के बाद इलाज के दौरान सागर में मौत हो गई थी लेकिन इनके परिजनों को भी आज तक किसी प्रकार की कोई सहायता राशि प्रदान करने की कोई पहल नहीं की गई। उल्लेखनीय है कि भाजपा के जिलाध्यक्ष रहे विद्यासागर पांडे के सुपुत्र मिथिलेश पांडे को करीब 15 वर्ष पूर्व रोगी कल्याण समिति के जरिए Rs 500 मानदेय में जिला अस्पताल में रखा गया था करीब 5 साल बाद इनकी सेवाएं मानदेय पर ही रेड क्रॉस सोसाइटी को दे दी गई थी सबसे है वृद्ध आश्रम में अपनी सेवाएं दे रहे थे।
करीब 3 वर्ष से इनके मानदेय का भुगतान सामाजिक न्याय विभाग से किया जाने लगा था वही कोरोना संक्रमण काल में वृद्ध आश्रम के मरीजों की नियमित जांच चेकअप हेतु जिला अस्पताल लाने ले जाने की सेवाएं करने में खुद भी संक्रमित हो गए थे। और अंत में उनकी सागर में मृत्यु हो गई थी इसी दौरान इनके पिता विद्यासागर पांडे भी संक्रमण के शिकार हो गए थे। वर्तमान में स्वर्गीय मिथिलेश पांडे की धर्मपत्नी और पिता जहां शासन की ओर मदद के लिए लाचारी से देख रहे हैं वही कोरोना के नाम पर करोड़ों का बजट खर्च करने वाले शासन प्रशासन का ध्यान इन पीड़ित परिजनों की तरफ आज तक नहीं जा पाना आश्चर्य का विषय कहा जा सकता है।
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