पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद कुसमरिया बाबा फिर भाजपा में..
भोपाल में शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के पश्चात भाजपा कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक अनेक नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।इस दौरान सबसे अधिक चौंकाने वाला चेहरा पूर्व मंत्री और बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे राम कृष्ण कुसमरिया का सामने आया। इनको पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्यातिरादित्य सिंधिया, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीड़ी शर्मा की मौजूदगी में भाजपा के कमल युक्त गमछा पहनाकर फिर पार्टी में एंट्री दी गई। वहीं भाजपा में शामिल होते ही बाबा जी मुख्यमंत्री शिवराज के समक्ष झोली फैलाते हुए भी नजर आए। बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रहे डालचंद पटेल ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
विधानसभा चुनाव हारने के बाद हालांकि वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री जयंत मलैया किसी भी हालत में यह मानने को तैयार नहीं थे कि बाबा जी की वजह से वह चुनाव हारे हैं। क्योंकि बाबाजी को मिले मत उम्मीद से काफी कम थे और इसीलिए मलैया जी मीडिया से चर्चा के दौरान यह कहने से भी नहीं चूके थे कि उनको तो किन्नर प्रत्याशी से भी कम वोट मिली है। इधर प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ के दरबार में बाबा जी की पूछ परख बढ़ गई थी तथा वह उनकी बेटी के विवाह में स्वयं शामिल होने के लिए आए थे। बाबा जी ने भी लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में जी जान से प्रचार किया था लेकिन नतीजा एकदम विपरीत निकला था।
अब जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सिंधिया की भाजपा में एंट्री के साथ उनके समर्थक विधायकों के इस्तीफे की वजह से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने और शिवराज सिंह की सरकार बनने के बाद अब शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थक मंत्रियों की भी एंट्री हो चुकी है ऐसे में सिंधिया समर्थक नेताओं के साथ बाबा जी की बीजेपी में वापसी चौकाने वाली कही जा सकती है। क्योंकि कुसमरिया जी का नाम कभी भी दूर-दूर तक सिंधिया समर्थक में नहीं रहा है। हालांकि श्री कुसमरिया के राजनीतिक जीवन की शुरुआत ज्योतिरादित्य की दादी स्वर्गीय विजया राजे सिंधिया के समय से जनसंघ और भाजपा में रही है।
भोपाल में सिंधिया समर्थक जिन दूसरे नेताओं ने आज भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है उनमें एक और चौंकाने वाला नाम हटा विधानसभा से दो बार कांग्रेस प्रत्याशी रहे हरिशंकर चौधरी का आता है। जिनके चुनाव प्रचार में पटेरा पहुंचे श्री सिंधिया ने नींबू की माला ग्रहण करते हुए फूल माला कांग्रेस नेताओं से ग्रहण करने से इनकार कर दिया था। उस समय श्री सिंधिया का कहना था जब तक वह शिवराज सरकार को जड़ से नहीं उखाड़ देंगे तब तक फूलों की माला नहीं पहनेंगे।
आज बदले हुए हालात में श्री सिंधिया कमलनाथ की सरकार को उखाड़ने के बाद जहां शिवराज सरकार को फिर आबाद करा चुके हैं वही उनके समर्थक भी अब भाजपा में एंट्री ले चुके हैं। भाजपा की सदस्यता लेने वाले सिंधिया समर्थकों में एक और नाम हटा के कद्दावर नेता पुष्पेंद्र हजारी के बेटे अनुराग वर्धन हजारी का भी है जो युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहते कांग्रेस टिकट नहीं मिलने पर पथरिया से समाजवादी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे थे। इधर बीना नगर पालिका अध्यक्ष रही हटा की बहू अनीता दिलीप खटीक की भी भाजपा में एंट्री चौंकाने वाली कही जा सकती है।
भोपाल। डेढ़ साल पहले मप्र विधानसभा चुनाव के पूर्व पथरिया से भारतीय जनता पार्टी की टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से बगावत करके दमोह तथा पथरिया से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में ताल ठोकने वाले पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद रामकृष्ण कुसमरिया की एक बार फिर भाजपा में चौंकाने वाली वापसी ने सभी को हैरत में डाल दिया है। कुसमरिया बाबा की भाजपा में वापसी को विधानसभा के आगामी उपचुनाव की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं इनके जरिए पथरिया विधायक बसपा नेता श्रीमति रामबाई के बड़ते हुुए प्रभाव पर अंकुश लगाने के प्रयास भी भाजपा कर सकती है।
बाबाजी के नाम से विख्यात कुसमरिया जी ने गत विधान सभा चुनाव के दौरान ऐसे समय भाजपा का साथ छोड़ा था जब पार्टी को उनकी सबसे अधिक जरूरत थी। दरअसल बाबाजी पथरिया से भाजपा की टिकट चाहते थे। लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री जयंत मलैया अपने खासम खास विधायक लखन पटेल की टिकट के लिए अड़ थे। जिसके बाद गुस्साए बाबा ने पथरिया के अलावा दमोह से भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल करके मलैया जी को सकते में डाल दिया था। तथा प्रदेश में निर्दलियों के दम पर ही सरकार बनने का दावा भी कर बैठे थे, जो बाद में सही साबित हुआ था।
हालांकि उन्हें मनाने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रभात झा हेलीकॉप्टर से दमोह आए थे, लेकिन ऐन मौके पर बाबाजी के जटाशंकर जाने पर नाम वापसी का समय निकल गया था और प्रभात झा को बैरंग वापस लौटना पड़ा था। विधानसभा चुनाव के दौरान सरताज सिंह तथा खुद की टिकिट कटने से खफा बाबाजी बीजेपी के बड़े नेताओं की तुलना ओरंगजेब तक से करने से नहीं चूके थे।
चुनाव प्रचार के दौरान बाबाजी द्वारा दोनों क्षेत्रों से चुनाव जीतने का दावा किया जाता रहा था। लेकिन जब नतीजे सामने आए तो "हम तो डूबेंगे सनम तुम्हें भी साथ ले डूबेंगे" की कहावत को ही बाबा चरितार्थ कर पाए थे। हालांकि चुनाव नतीजों से यह साफ हो गया था कि बाबाजी की बगावत से भाजपा को बुंदेलखंड की करीब आधा दर्जन सीटों पर पराजय का मुंह देखना पड़ा। और लगभग इतनी ही सीटों के अंतर ने भाजपा को लगातार चोथी बार सत्ता में आने से रोक दिया था और कांग्रेस को इतनी ही सीटो के अंतर से बढ़त दिला दी थी।
अब जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सिंधिया की भाजपा में एंट्री के साथ उनके समर्थक विधायकों के इस्तीफे की वजह से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने और शिवराज सिंह की सरकार बनने के बाद अब शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थक मंत्रियों की भी एंट्री हो चुकी है ऐसे में सिंधिया समर्थक नेताओं के साथ बाबा जी की बीजेपी में वापसी चौकाने वाली कही जा सकती है। क्योंकि कुसमरिया जी का नाम कभी भी दूर-दूर तक सिंधिया समर्थक में नहीं रहा है। हालांकि श्री कुसमरिया के राजनीतिक जीवन की शुरुआत ज्योतिरादित्य की दादी स्वर्गीय विजया राजे सिंधिया के समय से जनसंघ और भाजपा में रही है।
कुल मिलाकर सिंधिया समर्थकों के अलावा बाबा जी की भाजपा में एंट्री के कई मायने निकाले जा रहे हैं। भाजपा बाबाजी का उपयोग आने वाले चुनाव में पथरिया या दमोह किस क्षेत्र से करेगी इसका पता वक्त आने पर लगेगा। लेकिन बाबा जी ने जिन लखन पटेल और जयंत मलैया के कारण भाजपा छोड़ी थी अब उनके रहते पार्टी में वापस आने पर इन नेताओं की आज क्या मनोदशा होगी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कहा जा सकता। कुसमरिया बाबा की भाजपा में वापसी को विधानसभा के आगामी उपचुनाव की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं इनके जरिए पथरिया विधायक बसपा नेता श्रीमति रामबाई के बड़ते हुुए प्रभाव पर अंकुश लगाने के प्रयास भी करना चाहेगी। शायद इन्हीं सब बजहों की बजह से बागी बाबा की भाजपा में फिर एंट्री हो सकी है। पिक्चर अभी बाकी है.. अटल राजेंद्र जैन
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