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व्यारमा नदी में नहाने गए पुलिसकर्मी की जल समाधि.. चार घन्टे बाद ग्रामीण गोताखोर नदी से तलाश पाए शव .. कोविड-19 बफर जोन लकलका में तैनात था प्रधान आरक्षक नत्थू आदिवासी.. आज ही कंटेनमेंट क्षेत्र मुक्त हुआ था लकलका क्षेत्र..

व्यारमा नदी में नहाने गए प्रधान आरक्षक गहराई में डूबे..
दमोह। इस साल अल्प बारिश भरे हालात से किसान जहां परेशान हैं वही नदियों में पर्याप्त जल स्तर बना हुआ है। जिले के तारादेही क्षेत्र से लकलका तरफ आई व्यारमा नदी में नहाने के लिए उतरे एक पुलिसकर्मी की गहरे में चले जाने से जल समाधि हो जाने का दुखद घटनाक्रम सामने आया है। करीब 4 घंटे तक ग्रामीण जन और स्थानीय गोताखोर उनकी तलाश करते रहे। लेकिन जब उनका पता लगाकर नदी के बाहर निकाला गया तब तक उनकी सांसें थम चुकी थी। 
 प्राप्त जानकारी के अनुसार लकलका क्षेत्र में करीब 21 दिन पूर्व एक कोरोना पेशेंट मिलने के बाद इस गांव को कंटेंटमेंट क्षेत्र घोषित करते हुए बफर जोन बना दिया गया था। वही मरीज के ठीक हो जाने के बाद 21 दिन पूरे होने पर आज से ही इस क्षेत्र को कंटेनमेंट क्षेत्र से मुक्त किया गया था। बताया जा रहा है कि नत्थू आदिवासी नाम का स्थानीय पुलिसकर्मी यहां पर लगातार डयूटी रत था। आज कोविड-19 ड्यूटी से छुट्टी मिलने के बाद वह सुबह करीब   गांव से 1 किलोमीटर दूर व्यारमा नदी में नहाने के लिए गया था। 
देर तक नदी से बाहर नहीं निकलने और नदी किनारे  उसके कपड़े तथा जूते रखे होने के बाद उसके डूब जाने की जानकारी लगने पर ग्रामीण जनों द्वारा इमलिया चौकी पुलिस को सूचना दी गई। वही चौकी प्रभारी अभिषेक पटेल व पुलिस की मौजूदगी में गांव के तैराक युवाओं द्वारा नदी में उतरकर उसकी तलाश शुरू की गई। लेकिन करीब 3 घंटे बाद तक उसका कुछ पता नहीं लग सका है।
घटना की जानकारी जिला मुख्यालय पहुंचने पर दमोह से करीब दो बजे होमगार्ड के गोताखोरों की टीम के लकलका गांव रवाना होने की जानकारी सामने आई है। वही दमोह से एसपी हेमंत चौहान, एएसपी शिवकुमार व तेजगढ़ थाना पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी। दोपहर 3 बजे के बाद स्थानी गोताखोर लापता प्रधान आरक्षक की नदी के बीच तलाश करने में सफल रहे तथा नाव से उसे निकालकर किनारे पर लाया गया।
लेकिन तब तक  उनकी सांसे थम चुकी थी  इधर  हवलदार नत्थू आदिवासी के  नदी के पानी में मिल जाने की खबर लगने से बड़ी संख्या में ग्रामीण जनों की भीड़ नदी किनारे पहुंच चुकी थी। लेकिन उन सभी को जब यह पता लगा कि नाथूराम और उनके बीच में नहीं रहे तो सभी के चेहरे उतरते तथा गांव में मातम के हालात बनते देर नही लगी।
जबकि परिजन तथा ग्रामीण जन व्याकुलता के साथ नदी की ओर टकटकी लगाए लापता प्रधान आरक्षक नत्थू आदिवासी के मिलने की आस लगाए हुए है। परमपिता परमेश्वर उनकी अंतरात्मा को अपने चरणों में स्थान दे ओ परिजनों को गहन दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें ओम शांति शांति शांति
घटनास्थल से अश्वनी चौबे की रिपोर्ट

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