पटेरा ब्लाक के नयागांव में पुराने निर्माण पर नया भुगतान
फिलहाल यहां बात कर रहे हैं पन्ना जिले की सीमा से लगी दमोह जिले की पटेरा जनपद की अंतिम पंचायत नया गांव की। धूल का फूल बनती नजर आ रही है सड़क की यह वीडियो नया गांव ग्राम पंचायत के साडा गांव की है। मेन रोड पर स्थित इस गांव में सीसी सड़क निर्माण के नाम पर किस तरह से भरत पटेल नाम के ठेकेदार ने सरपंच सचिव की मिलीभगत से गुल खिलाए हैं उसका अंदाजा इस वीडियो को देखकर लगाया जा सकता हैं। डेढ़ इंची की नाम मात्र के सीमेंट और काली रेत के मिक्चर से बनी इस रोड पर एक कुप्पा पानी भी नहीं डाला गया। नतीजन सीसी सड़क पर चलते ही धूल में फूल खिलने जैसे हालात बन जाते है।
यहां नालियों के निर्माण के बिना ही राशि को डकार लिया गया है। इस गांव के शौचालयों की हालत तो ऐसी है जैसे हिरोशिमा नागासाकी की तरह यहां बमबारी हुई हो।कुटीर, प्रधानमंत्री आवास, रोजगार गारंटी सहित अन्य तमाम योजनाओं मैं फर्जीवाड़े की दास्तान गांव के लोग खुल कर सुनाते हैं। लेकिन ना अधिकारियों को सुनने और कार्रवाई करने की फुर्सत है और ना जनप्रतिनिधियों को ऐसे में सारी अपेक्षाएं लोग मीडिया कर्मियों से करते हैं लेकिन यहां भी तथाकथित झोलाछाप खबर नवीस अपना उल्लू सीधा करके आगे बढ़ जाते हैं।
नयागांव पहाड़ की तलहटी मैं स्थित बरसों पुरानी तलैया के नाम पर भी लाखों की बारे नारे किए गए हैं। वन भूमि में स्थित तलैया को मवेशियों तथा निस्तार के लिए उपयोगी बनाने के नाम पर लाखों की राशि का फर्जीवाड़ा करते हुए यह पिचिंग के नाम पर जंगल के पत्थरों की जमावट कर दी गई है। हालात यह की मवेशियों को अब यहां पानी की भी तलाश करना पड़ती है। यहां लाखों की बंदरबांट के बाद वन विभाग द्वारा कार्य बंद करा दिए जाने की जानकारी भी सामने आई है लेकिन उसकी भरपाई किस से की जाएगी यह बताने कोई तैयार नहीं है।
मेन रोड से नयागांव तक पहुंचने के लिए प्रधानमंत्री सड़क का निर्माण करीब 5 वर्ष पूर्व कराया गया था। लेकिन गांव के कोटवार के घर तक समानांतर सीसी रोड का निर्माण कराकर एक और फर्जीवाड़ा किया गया है। यहां सरकारी रिकॉर्ड में सड़क के दोनों ओर नालियां भी दर्ज हैं लेकिन तलाशने पर भी नाली कहीं नजर नहीं आती। पहाड़ी मार्ग पर कन्वर्ट पुलिया का भी घटिया निर्माण किया गया है। रोजगार गारंटी के तहत जिन लोगों के नाम रिकार्ड में दर्ज है और उनके नाम पर राशि भुगतान किया गया है उनको भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
साडा गांव की नल जल योजना के चालू होने के पहले ही मोटर चोरी होने की बात फैला दी गई। नल जल योजना और जल सप्लाई के नाम पर लाखों की राशि का ठेकेदार के जरिए बंदरबांट करने वाले अधिकारियों को इस बात से कोई लेना देना नहीं है कि गांव वालों को पानी मिल रहा अथवा नहीं क्योंकि ठेकेदार के भुगतान के साथ ही उनका कमीशन तो मिल ही चुका है।
नया गांव ग्राम पंचायत के हालात को लेकर यहां के सरपंच नब्बू दुबे तथा सचिव परसराम पटेल से संपर्क करने का काफी प्रयास किया गया। लेकिन इनके द्वारा मोबाइल भी रिसीव नहीं किया गया। गांव में मौजूद सरपंच प्रतिनिधि से जब सड़क किनारे से नालियां गायब हो जाने के बारे में पूछा गया तो वह बेशर्मी के साथ हंसते हुए कैमरे से चेहरा छुपाते नजर आए। बहुत तलाश करने पर पटेरा में गांव के रोजगार सहायक भैययन साहू से जब मुलाकात हुई दोनों ने चौंकाने वाला खुलासा किया। उनका कहना था कि सरपंच सचिव की गड़बड़ियों के चलते इन्हें बलि का बकरा बना कर सस्पेंड करा दिया गया था।
बाद में जब यह दोषी नही निकले तो अगस्त 2019 में इनको बहाल कर दिया गया। लेकिन 7 माह बाद भी सचिव परसराम पटेल ने इनको ना आईडी पासवर्ड दिया है और ना ही चार्ज दिया है। इस बात की शिकायत है वह जनपद के सीईओ से लेकर जन सुनवाई तक में कर चुके हैं लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। इस ग्राम पंचायत के निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की मानीटरिंग करने वाले उपयंत्री केएल पटेल का कहना है कि जहां भी राशि का दुरुपयोग हुआ है वह वापस वसूली जाएगी। लेकिन कैसे और कब तक यह सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है।
जिले के सातों ब्लाकों में इस तरह के हालात किसी भी छोर पर बिना चश्मे के नजर आ जाते हैं। शिकायतों के बाद कार्रवाई के बजाए सौदेबाजी के हालात ने पंचायती राज के विकास की गंगा को पथरा कर रख दिया है। यहां तक कि सांसद विधायक निधि आदि से कराए जाने वाले कार्यो की भी सुध लेने वाला कोई नही है। गड़बड़ियों को उजागर करने के लिए निकलने वाले तथा कथित झोला छाप खबरनवीसो को भी यह गड़बड़ियां इतनी रास आ रही हैं कि किसी भी ग्राम पंचायत में घुस जाने पर उन्हें खाली हाथ लौटने नहीं दिया जाता।
इधर कमलनाथ सरकार की सवा साल के कार्यकाल में जिला जनपद पंचायत के सीईओ से लेकर उपयंत्री अन्य अधिकारियों ने जिस तरह से गड़बड़ी शिकायतों को लेकर आंखें मूंद रखी उसका भी फायदा फर्जीवाड़ा करने वालों को मिला है। देखना होगा फिर से प्रदेश में शिवराज सरकार आने के बाद एन गड़बड़ घोटाला करने वालों और इनके संरक्षण दाताओं पर कार्रवाई की गाज गिरती है अथवा नहीं।
दमोह। पंचायती राज व्यवस्था के तहत दमोह जिले में ग्राम पंचायत स्तर पर निर्माण कार्यों से लेकर रोजगार देने के नाम पर जितना फर्जीवाड़ा हुआ है उसकी अपडेट देने के लिए अखबार के पेज भी कम पड़ जाएंगे। सरपंच सचिव की मिलीभगत और रोजगार सहायक तथा इंजीनियर की शह से आधे अधूरे घटिया निर्माण कार्यों के नाम पर भरपूर राशि आहरण और कच्चे बिलों पर लाखों की खरीदी भुगतान के नजारे देखने के लिए मध्यप्रदेश शासन की पोर्टल पंचायत दर्पण पर क्लिक करने भर की जरूरत पड़ती है। इस तरह के हालात किसी एक ग्राम पंचायत या किसी एक ब्लॉक तक सीमित नहीं है। और वास्तविक धरातल हालात से उच्च अधिकारी वाफिक नहीं हो ऐसी बात भी नहीं है।
यहां नालियों के निर्माण के बिना ही राशि को डकार लिया गया है। इस गांव के शौचालयों की हालत तो ऐसी है जैसे हिरोशिमा नागासाकी की तरह यहां बमबारी हुई हो।कुटीर, प्रधानमंत्री आवास, रोजगार गारंटी सहित अन्य तमाम योजनाओं मैं फर्जीवाड़े की दास्तान गांव के लोग खुल कर सुनाते हैं। लेकिन ना अधिकारियों को सुनने और कार्रवाई करने की फुर्सत है और ना जनप्रतिनिधियों को ऐसे में सारी अपेक्षाएं लोग मीडिया कर्मियों से करते हैं लेकिन यहां भी तथाकथित झोलाछाप खबर नवीस अपना उल्लू सीधा करके आगे बढ़ जाते हैं।
मेन रोड से नयागांव तक पहुंचने के लिए प्रधानमंत्री सड़क का निर्माण करीब 5 वर्ष पूर्व कराया गया था। लेकिन गांव के कोटवार के घर तक समानांतर सीसी रोड का निर्माण कराकर एक और फर्जीवाड़ा किया गया है। यहां सरकारी रिकॉर्ड में सड़क के दोनों ओर नालियां भी दर्ज हैं लेकिन तलाशने पर भी नाली कहीं नजर नहीं आती। पहाड़ी मार्ग पर कन्वर्ट पुलिया का भी घटिया निर्माण किया गया है। रोजगार गारंटी के तहत जिन लोगों के नाम रिकार्ड में दर्ज है और उनके नाम पर राशि भुगतान किया गया है उनको भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
साडा गांव की नल जल योजना के चालू होने के पहले ही मोटर चोरी होने की बात फैला दी गई। नल जल योजना और जल सप्लाई के नाम पर लाखों की राशि का ठेकेदार के जरिए बंदरबांट करने वाले अधिकारियों को इस बात से कोई लेना देना नहीं है कि गांव वालों को पानी मिल रहा अथवा नहीं क्योंकि ठेकेदार के भुगतान के साथ ही उनका कमीशन तो मिल ही चुका है।
बाद में जब यह दोषी नही निकले तो अगस्त 2019 में इनको बहाल कर दिया गया। लेकिन 7 माह बाद भी सचिव परसराम पटेल ने इनको ना आईडी पासवर्ड दिया है और ना ही चार्ज दिया है। इस बात की शिकायत है वह जनपद के सीईओ से लेकर जन सुनवाई तक में कर चुके हैं लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। इस ग्राम पंचायत के निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की मानीटरिंग करने वाले उपयंत्री केएल पटेल का कहना है कि जहां भी राशि का दुरुपयोग हुआ है वह वापस वसूली जाएगी। लेकिन कैसे और कब तक यह सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है।
जिले के सातों ब्लाकों में इस तरह के हालात किसी भी छोर पर बिना चश्मे के नजर आ जाते हैं। शिकायतों के बाद कार्रवाई के बजाए सौदेबाजी के हालात ने पंचायती राज के विकास की गंगा को पथरा कर रख दिया है। यहां तक कि सांसद विधायक निधि आदि से कराए जाने वाले कार्यो की भी सुध लेने वाला कोई नही है। गड़बड़ियों को उजागर करने के लिए निकलने वाले तथा कथित झोला छाप खबरनवीसो को भी यह गड़बड़ियां इतनी रास आ रही हैं कि किसी भी ग्राम पंचायत में घुस जाने पर उन्हें खाली हाथ लौटने नहीं दिया जाता।
इधर कमलनाथ सरकार की सवा साल के कार्यकाल में जिला जनपद पंचायत के सीईओ से लेकर उपयंत्री अन्य अधिकारियों ने जिस तरह से गड़बड़ी शिकायतों को लेकर आंखें मूंद रखी उसका भी फायदा फर्जीवाड़ा करने वालों को मिला है। देखना होगा फिर से प्रदेश में शिवराज सरकार आने के बाद एन गड़बड़ घोटाला करने वालों और इनके संरक्षण दाताओं पर कार्रवाई की गाज गिरती है अथवा नहीं।
पिक्चर अभी बाकी है- ग्राम पंचायतें बहुत हैं गड़बड़ियां भी बहुत हैं और इनको बारी-बारी से उजागर करने के लिए समय भी लग सकता है। लेकिन हमारी कोशिश रहेगी एक-एक करके ग्राम पंचायतों में जो अच्छा बुरा हुआ है उसे जरूर बताएं। आपके इलाके की ग्राम पंचायत में भी गड़बड़ियों बहुत हुई होगी और जागरूक नागरिक होने के नाते आपने शिकायत भी की होगी। लेकिन जांच के नाम पर वैसा नही हुआ होगा जैसा आप चाहते थे। तो एक बार अपने क्षेत्र की पंचायत का कच्चे चिट्ठे की फोटो वीडियो के पुरानी शिकायत हम तक जरूर पहुंचाएं। हम कोशिश करेंगे जल्द आपके यहां के हालात को प्रकाशित करके उच्चाधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराएंगे और फिर भी कार्यवाही ना हुई तो इसमें किसका कितना हिस्सा बांट हुआ वह भी बताएगे। अटल राजेन्द्र जैन
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