Ticker

6/recent/ticker-posts
1 / 1

केंद्रीय संस्कृति मंत्री के नाम पर संचालित बुंदेलखंड सांस्कृतिक महोत्सव मेला में.. न संस्कृति की झलक न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम.. नाम मात्र की राशि में ग्राउंड लेकर लाखो रुपये बसूलने वालो को.. नहीं है दुकानदारों के घाटे की चिंता..

बुंदेलखंड सांस्कृतिक महोत्सव मेला बना फ्लॉप शो
दमोह। केंद्रीय मंत्री और दमोह सांसद प्रहलाद सिंह पटेल के संरक्षण में आयोजित बुंदेलखंड सांस्कृतिक महोत्सव मेला फ्लॉप शो साबित होने से मेले में दुकान लगाने वाले दुकानदार स्वयं को ठगा सा महसूस पा रहे हैं। जबकि दुकानदारों से मोटी रकम वसूल चुके संचालको को इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि मेले में भीड़ उमड़ रही है अथवा नहीं। खास बात यह है कि केंद्रीय संस्कृति मंत्री के संरक्षण के नाम पर आयोजित मेले में बुंदेली संस्कृति से लेकर इसको बढ़ावा देने मेले से लेकर मंच तक कहीं भी सार्थक प्रयास नहीं किए गए हैं। ऐसे में संस्कृति विभाग से लिए जाने वाले डोनेशन और राशि आवंटन पर भी अब मीडिया की नजर रहेगी।
भेल जन सेवा समिति भोपाल द्वारा दमोह के तहसील ग्राउंड पर आयोजित बुंदेलखंड सांस्कृतिक महोत्सव पहले दिन से ही फ्लॉप शो साबित हुआ है। नाम बड़े और दर्शन छोटे  की कहावत को चरितार्थ करते इस मेले में लगाए गए बड़े बड़े झूले टिकिट दर अधिक होने से आम दर्शकों को रास नहीं आ रहे है। जिससे अधिकांश झूले खाली घूमते बच्चों के लिए दूर से ही आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इसी तरह मेले में सजी दुकानों में लेटेस्ट वैरायटी का अभाव लोगों को आकर्षित करने में असफल रहा है। 
10 रुपये छाप आइटम की बात को यदि छोड़ दिया जाए तो मेले में पहुंचने वाले अधिकांश दर्शक खरीदारी करना तो दूर सामग्री पसंद नहीं आने की वजह से मोलभाव करना तक जरूरी नहीं समझ रहे हैं। मेले में लगी खाने पीने की स्टालों पर भी सामग्री के रेट बाजार से काफी अधिक है। वही गुणवत्ता का अभाव साफ झलक रहा है। वही अभी तक खाद्य सुरक्षा टीम ने मेले में विक्रय होने वाली खाद्य सामग्री की जाकर सैंपल इन का जोखिम नहीं उठाया है। ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य से साफ तौर पर खिलवाड़ होता नजर आ रहा है। खाद्य सामग्री की दुकानों पर शुद्ध पेयजल का अभाव भी बना हुआ है जिससे लोग को खरीद कर पानी पीने को मजबूर हैं। साफ सफाई सुरक्षा इंतजामों का भी कोई खास इंतजाम देखने को नहीं मिल रहा है।
मेले से लेकर झूले तक भीड़ के अभाव में मोटी रकम देकर स्टा लेने वाले दुकानदार खुद को ठगा सा महसूस पा रहे हैं वहीं दुकानदारों से अधिक राशि वसूली जाने के मामले में मेला संचालकों का कहना है कि अधिक दिन के लिए मेला लगे होने की वजह से अधिक राशि ली गई है। मेले में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर विभिन्न समाचार पत्रों में लगातार खबरें प्रकाशित होने यहां तक कि ऊंचाई वाले झूलों की वजह से जेल के अंदर का नजारा देखने और सुरक्षा को खतरा उत्पन्न होने जैसी खबरें प्रकाशित होने के बाद भी प्रशासन द्वारा किसी प्रकार का संज्ञान नहीं लिया गया है।  वही चला चली की बेला में कतिपय समाचार पत्रों को विज्ञापन देकर मेले की हकीकत पर पर्दा डालने का प्रयास शुरू हो गया है। 
 इधर कोतवाली और पुलिस लाइन के बीच रिक्त पड़ी पुलिस भूमि पर मोटी रकम लेकर धड़ल्ले से साइकिल स्टैंड का संचालन मेला आयोजकों द्वारा कराया जा रहा है। इसके बावजूद बाइक और साइकिल चोरी की घटनाएं सामने आ चुकी है। परीक्षाएं नजदीक होने के बाद भी ध्वनि प्रदूषण की अनदेखी जारी है। बुंदेली संस्कृति के नाम पर किए गए आयोजन के दौरान खाने-पीने की सामग्री से लेकर सब कुछ पश्चिमी कल्चर का नजारा रहा है वही लालच देने वाली जुआ टाइप की दुकानों का संचालन खुलेआम चल रहा है।

इस मेले के आयोजन को लेकर नगर पालिका को विभिन्न टैक्सों के रूप में क्या राशि अदा की गई है और कितनी राशि अदा की जाएगी इसका फिलहाल पता नहीं लग सका है वही आवश्यक सेवाएं देने वाले लोक निर्माण विभाग, विद्युत विभाग, पुलिस एवं निजी सुरक्षा एजेंसियों सहित अन्य विभागों को क्या भुगतान किया गया है यह भी फिलहाल सामने नहीं आया है। 
 इस मेला के फोल्डर तथा प्रचार पंपलेट में 15 फरवरी से 8 मार्च तक आयोजन होना बताया गया है वही इस हिसाब से ही दुकानदारों से मोटी रकम वसूली गई है। जबकि प्रशासन को तहसील ग्राउंड के किराए के नाम पर नाम मात्र की राशि अदा की गई है। वही 5 मार्च तक की परमिशन देना बताया गया है। इधर प्रशासन द्वारा बोर्ड परीक्षाओं के बावजूद मेला आयोजन को परमिशन दिया जाना कहीं ना कहीं इजाजत देने वाले अधिकारियों की मिलीभगत और उन पर राजनीतिक दबाव जैसे हालात की ओर इशारा कर रहा है। 
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल को संरक्षक के रूप में प्रचारित करके मेला की सफलता का ख्वाब देखने वाले आयोजकों द्वारा स्थानीय विधायकों, पूर्व मंत्री, पंचायत, पालिका, मंडी आदि के जनप्रतिनिधियों  सहित अन्य  सभी दलों के वरिष्ठ नेताओं एवं गणमान्य जनों की अनदेखी किए जाने का ही नतीजा है की आम जनता ने बुंदेलखंड संस्कृति के नाम पर आयोजित मेला को आइना दिखा दिया है। 
मजे की बात तो यह है कि बुंदेलखंड की संस्कृति के प्रचार-प्रसार के नाम पर लगाए गए मेले में बुंदेलखंड की संस्कृति का कहीं भी प्रचार-प्रसार और संरक्षण होता नजर नहीं आ रहा है। यहां तक की प्रचार फोल्डर में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद  पटेल के विभाग का नाम संस्कृति मंत्री के बजाय सांस्कृतिक मंत्री के तौर पर दर्शाया गया है वही आयोजनों के दौरान दिए जाने वाले स्मृति चिन्हों में भी यही गलती दोहराई गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह मेला आयोजकों का बुंदेलखंड के बाहर का होना कहा जा सकता है। वही आम जनमानस द्वारा इस मेले को नकार दिए जाने की मुख्य वजह आयोजकों का सौतेला व्यवहार और स्थानीय कतिपय लोगों का संरक्षण लेना भी कहा जा सकता है।
मंचीय कार्यक्रमों के नाम पर खानापूर्ति किए जाने से मंच के सामने दर्शक दीर्घा पूरी तरह से खाली पड़ी रहती है। बुंदेली खेलों के नाम पर सांसद कप कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन करके 71 हजार, 51 हजार और 31 हजार की राशि विजेता टीमों को देकर मेला संरक्षक के ऑफिस से जुड़े लोगो को खुश करने की कोशिश की गई है। वही इस राशि के भरपाई के तौर पर संस्कृति विभाग से लाखों के अनुदान लेने की फाइल तैयार कराए जाने की चर्चाएं  भी होने लगी है। उपरोक्त सभी हालात को लेकर जब मेला समिति अध्यक्ष सुनील यादव से चर्चा की गई वह गोलमोल जबाव देते अपने भोपाली प्रभाव व संपर्क बताने की कोशिश करते नजर आए।  उनका कहना था कि पूर्व में जैसा होता आया है वैसा ही वह भी कर रहे है। दुकानदारो से अधिक राशि लेने के मामले में उनका तर्क है कि अधिक दिन का मेला होने की बजह से अधिक राशि ली गई है। पिक्चर अभी बाकी है..

Post a Comment

0 Comments