रिश्वतखोर परि. अधिकारी पर लोकायुक्त का शिकंजा
कोई भी कमी बताकर कारण बताओ नोटिस जारी करने और फिर मामले को रफा-दफा करने के नाम पर संबंधों से रुपए मांगने का गोरख धंधा यूं तो अनेक विभागों में पर्दे के पीछे और टेविल के नीचे से चल रहा है। लेकिन इस तरह की अवैध वसूली की शिकायत करने का साहस अधिकांश कर्मचारी नहीं जुटा पाते हैं जिससे रिश्वतखोर अधिकारी की जेबें गर्म होती रहती है।
दमोह जिले के तेंदूखेड़ा क्षेत्र में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें मिनीआंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने कारण बताओ नोटिस के जवाब में रिश्वत की मांग करने वाली बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी की शिकायत सागर लोकायुक्त से कर दी। जिसके बाद गुरुवार को तेंदूखेड़ा पहुंची लोकायुक्त टीआई मंजू सिंह ने 4000 रुपये की रिश्वत लेते हुए महिला बालविकास की परियोजना अधिकारी श्वेता सिंह ठाकुर को पकड़ने में कोई देरी नहीं की। जबकि उसके पूर्व रिश्वतखोर ₹2000 आदिवासी मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से ले चुकी थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार घोटिया में पदस्थ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भानु कुमारी गोंड़ को आंगनवाड़ी केंद्र के निरीक्षण के बाद कमियां बता कर श्वेता सिंह ठाकुर परियोजना अधिकारी महिला बाल विकास कार्यालय तेंदूखेड़ा ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था। बाद में नोटिस को ठंडे बस्ते में डालने और कार्रवाई नहीं करने के बदले में 6000 रु की रिश्वत की मांग की गई थी। जिसकी शिकायत गरीब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा लोकायुक्त से किए जाने के बाद अमीर परियोजना अधिकारी के लोकायुक्त के शिकंजे में फंसते देर नहीं लगी।कारवाई करने वाली लोकायुक्त टीम में निरीक्षक मंजू सिंह एवं अभिषेक वर्मा, आरक्षक आशुतोष व्यास, सुरेंद्र सिंह, विक्रम सिंह, संजीव अग्निहोत्री आदि शामिल रहे। वही कार्यालय से रिश्वतखोर महिला अधिकारी को पकड़ने के बाद लोकायुक्त की टीम ने तेंदूखेड़ा थाना पहुंचकर आगे की कार्यवाही की इस दौरान थाने पहुंचे अधिकारी के मिस्टर अपनी पत्नी की बात सुनकर उनसे चिंता नहीं करने और एसपी से बात हो जाने की बात भी करते नजर आए। तेंदूखेड़ा से अरूण दुबे की रिपोर्ट
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