आमखेडा की पहचान पुराने पेड़ों पर कटाई का ग्रहण-
यहा पर जिन लोगों के घरों के बाहर यह पेड़ छाया और फल देते थे उनके द्वारा शुरुआत में तो कटाई छटाई का विरोध किया गया लेकिन बाद में आसपास के ईट भट्टा संचालकों द्वारा दिए गए लालच के बाद इन लोगों ने भी चुप्पी साध ली। नतीजन अब इन पेड़ों के नजदीक ही ईट भट्टे धधकते हुए देखे जा सकते हैं। जिनमें लकड़ी के तौर पर पुराने पेड़ों की ठूठ और डगालो का इस्तेमाल किया जा रहा है।
आमखेड़ा मार्ग से आम के पेड़ों को सुखाने के बाद ईंट भट्टों में उपयोग किए जाने के घटनाक्रम की जानकारी वन विभाग को दिए जाने पर उनके द्वारा यह कहकर कार्रवाई से इंकार किया जाता रहा है कि यह पेड़ लोक निर्माण विभाग की निगरानी में है। वहीं पीडब्ल्यूडी द्वारा अनदेखी के बाद दमोह के अनुविभागीय अधिकारी रविंद्र चोकसे का ध्यानाकर्षण कराया गया। जिस पर उन्होंने तहसीलदार विजय साहू को मौके पर भेजकर जांच कराने तथा उनके द्वारा दी गई रिपोर्ट पर संबंधितो के खिलाफ कार्यवाही नोटिस जारी कराने आश्वस्त किया है।
दमोह कुंडलपुर मार्ग पर जिला मुख्यालय से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आमखेड़ा गांव की पहचान सड़क के दोनों किनारों पर लगे आम के पचासों पुराने पेड़ों की वजह से होती थी। लेकिन 4 साल पहले सड़क निर्माण कराने वाली कंपनी द्वारा चौड़ीकरण के नाम पर पेड़ों की कटाई तथा छटाई के बाद छतिग्रस्त पेड़ों को हरा भरा बनाने ध्यान नहीं दिया गया।
आमखेड़ा मार्ग से आम के पेड़ों को सुखाने के बाद ईंट भट्टों में उपयोग किए जाने के घटनाक्रम की जानकारी वन विभाग को दिए जाने पर उनके द्वारा यह कहकर कार्रवाई से इंकार किया जाता रहा है कि यह पेड़ लोक निर्माण विभाग की निगरानी में है। वहीं पीडब्ल्यूडी द्वारा अनदेखी के बाद दमोह के अनुविभागीय अधिकारी रविंद्र चोकसे का ध्यानाकर्षण कराया गया। जिस पर उन्होंने तहसीलदार विजय साहू को मौके पर भेजकर जांच कराने तथा उनके द्वारा दी गई रिपोर्ट पर संबंधितो के खिलाफ कार्यवाही नोटिस जारी कराने आश्वस्त किया है।
देखना होगा यहां आम के बरसो पुराने पेड़ों को सुखाने के बाद ठूठ में तब्दील करने वाले लोग इन पेड़ों के खत्म हो जाने के बाद ईट भट्टों को धधकाने के लिए कहां के पेड़ों को काटकर लकड़ियां का इंतजाम करते हैं। अजीत सिंह राजपूत के साथ अभिजीत जैन की रिपोर्ट
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