बजट के बाद पेट्रोल डीजल के दामों में 5 रु तक उछाल-
ईधन के दामों में रातों रात हुई बढ़ोतरी के बाद सुबह पेट्रोल भरवाने के लिए पहुंचे उपभोक्ताओं और पंप कर्मचारियों के बीच अनेक जगह वाद विवाद जैसी स्थति बनती रही। क्यों कि आम उपभोक्ता मप्र सरकार द्वारा बढ़ाए गए टेक्स से अनभिज्ञ था। इधर बढ़े हुए दामों के बाद अनेक पंपों पर सन्नाटा भी छाया रहा। बजट के बाद पेट्रोल डीजल के दामों में एक झटके में करीब पांच रूपए का उछाल होने के बाद भी जबरजस्त मूल्य वृद्धि को लेकर भाजपा-कांग्रेस के नेताओं की चुप्पी आ जनता को अखरती नजर आ रही है।
इस संदर्भ में राज्य सरकार का तर्क है कि जब केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल में ड्यूटी घटाते हुए राज्य से ड्यूटी कम करने के लिए कहा था तब प्रदेश में भी लोकहित में ड्यूटी घटाई गई थी। इसके कारण राज्य को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा था। अब केंद्र ने ड्यूटी बढ़ाई तो राज्य सरकार भी नुकसान नहीं झेल सकती। नुकसान की भरपाई में जुटी सरकार सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार से मिलने वाले केंद्रीय करों के हिस्से में 2677 करोड़ों रुपए की कटौती होने के बाद राज्य सरकार इसकी भरपाई में जुट गई है। सरकार को होगी 700 करोड़ रुपए की कमाई 2 रुपए अतिरिक्त शुल्क बढ़ाने से राज्य सरकार को सालाना करीब 700 करोड़ रुपए की आय होगी।
जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा टैक्स बढ़ाए जाने का फायदा राज्य सरकार को नहीं हो रहा था। सेस और स्पेशल एक्साइज ड्यूटी से जो राजस्व केंद्र सरकार वसूलती है, उसे राज्य सरकारों को नहीं देती। पेट्रोल-डीजल पर अतिरिक्त राजस्व आने के बावजूद जब राज्य सरकार को फायदा होते नहीं दिखा तो उसने अपनी तरफ से टैक्स में इजाफा कर दिया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। 2018 में भी केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल से 8 रुपए प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी कम कर 8 रुपए प्रति लीटर रोड सेस लगा दिया था। एक्साइज ड्यूटी में कमी होने की वजह से मप्र सरकार को सालाना एक हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। एक्साइज ड्यूटी केंद्रीय करों में शामिल है औेर इसका 42 फीसदी हिस्सा राज्य सरकारों को देना होता है। उस समय राज्य में भी भाजपा की ही सरकार थी इसलिए वह इसका विरोध नहीं कर पाई थी।
देहली/भोपाल/दमोह। केंद्रीय बजट में पेट्रोल-डीजल पर लगाए गए सेस के बाद मप्र सरकार द्वारा भी रातोंरात टेक्स वृद्धि कर देने से प्रदेश में डीजल पेट्रोल के दाम करीब पांच रूपए तक बढ़ गए है। केंद्र और राज्य सरकारों ने उपभोक्ताओं को डबल झटका देते हुए पेट्रोल के दाम में करीब 4 रुपए 56 पैसे और डीजल के दाम में करीब 4 रुपए 37 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी है। शनिवार सुबह जब लोग अपने वाहनों को लेकर पेट्रोंल पंप तक पहुंचे तो वहां पर बढ़ी हुई रेट लिस्ट देखकर हतप्रद रह गए।शुक्रवार को आए केंद्र सरकार के बजट में पेट्रोल और डीजल पर दो-दो रुपए सेस और विशेष एक्साइज ड्यूटी लगाने की घोषणा की गई थी। जिससे देश में इन दोनों के दाम करीब ढाई रुपए बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा था। लेकिन केंद्र की टेक्स वृद्धि के बाद मप्र सरकार ने भी देर रात पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाने का फैसला किया और दो रुपए प्रति लीटर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया। जिससे अब पूरे मप्र में दोनों ईंधन की दरों में करीब पांच-पांच रूपए लीटर की बढ़ोतरी हो गई है। इस संदर्भ में वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव के मुताबिक, अब मप्र में पेट्रोल व डीजल के औसत दाम क्रमशः 79.95 व 71.49 रुपए प्रति लीटर होंगे। जो कि प्रदेश में हर शहर में वहां की मौजूदा कीमतों के हिसाब से अलग-अलग होंगे। बढ़े हुए दाम शनिवार सुबह छह बजे से लागू हो गए है। दमोह जिला मुख्यालय की बात की जाए तो यहां हाईस्पीड पेट्रोल की दर 81.61, साधारण पेट्रोल की कीमत 78.71 और डीजल की दर 70.58 रूपए प्रति लीटर तक पहुंच गई है।
ईधन के दामों में रातों रात हुई बढ़ोतरी के बाद सुबह पेट्रोल भरवाने के लिए पहुंचे उपभोक्ताओं और पंप कर्मचारियों के बीच अनेक जगह वाद विवाद जैसी स्थति बनती रही। क्यों कि आम उपभोक्ता मप्र सरकार द्वारा बढ़ाए गए टेक्स से अनभिज्ञ था। इधर बढ़े हुए दामों के बाद अनेक पंपों पर सन्नाटा भी छाया रहा। बजट के बाद पेट्रोल डीजल के दामों में एक झटके में करीब पांच रूपए का उछाल होने के बाद भी जबरजस्त मूल्य वृद्धि को लेकर भाजपा-कांग्रेस के नेताओं की चुप्पी आ जनता को अखरती नजर आ रही है।
जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा टैक्स बढ़ाए जाने का फायदा राज्य सरकार को नहीं हो रहा था। सेस और स्पेशल एक्साइज ड्यूटी से जो राजस्व केंद्र सरकार वसूलती है, उसे राज्य सरकारों को नहीं देती। पेट्रोल-डीजल पर अतिरिक्त राजस्व आने के बावजूद जब राज्य सरकार को फायदा होते नहीं दिखा तो उसने अपनी तरफ से टैक्स में इजाफा कर दिया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। 2018 में भी केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल से 8 रुपए प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी कम कर 8 रुपए प्रति लीटर रोड सेस लगा दिया था। एक्साइज ड्यूटी में कमी होने की वजह से मप्र सरकार को सालाना एक हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। एक्साइज ड्यूटी केंद्रीय करों में शामिल है औेर इसका 42 फीसदी हिस्सा राज्य सरकारों को देना होता है। उस समय राज्य में भी भाजपा की ही सरकार थी इसलिए वह इसका विरोध नहीं कर पाई थी।
कुल मिलाकर बजट के बाद पेट्रोल डीजल के दामों में एक झटके में करीब पांच रूपए का उछाल होने के बाद भी जबरजस्त मूल्य वृद्धि को लेकर भाजपा-कांग्रेस के नेताओं की चुप्पी आ जनता को अखरती नजर आ रही है। तथा लोगों का मानना है कि इससे आम उपयोग की सामग्री में वृद्धि के साथ मंहगाई में इजाफा होगा। जिसे ध्यान में रखकर केंद्र तथा राज्य सरकारों से पेट्रालियम पदार्थो की मूल्य वृद्धि को वापिस लिए जाने की मांग भी उठने लगी है। अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट
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