विधायक के यहां बधाई देने पहुचे किन्नरों का धमाल
दमोह विधायक राहुल सिंह के घर पिछले दिनों एक नन्ही परी ने जन्म लिया था विधानसभा सत्र के चलते विधायक जी तो भोपाल चले गए परंतु किन्नरों को इससे क्या लेना देना पता लगते ही वैशाली नगर स्थित राहुल सिंह के बंगले पर जा धमके इस दौरान उपस्थित लोगों ने उन्हें बराबर मान सम्मान दिया लेकिन किन्नर धमाल के साथ धमा चौकड़ी दिखाए बिना नहीं माने। आपको याद होगा 9 महीने पहले हुए विधान सभा चुनाव में दमोह से एक किन्नर प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में था। बाद में उसने कांग्रेस प्रत्याशी राहुल सिंह को समर्थन के साथ जीत का आशीर्वाद भी दे दिया था। उस समय किन्नर के आशीर्वाद को लोग हल्के में ले रहे थे लेकिन जब नतीजा आया तो कहीं ना कहीं किन्नर की कृपा खाली नहीं जाने की बात चरितार्थ हुई।
फर्जीवाड़े को बर्दाश्त नहीं करते, नकली को सबक सिखाया
मिलावट के इस दौर में किन्नरों के पेशे पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं वही किन्नर भी नकली किन्नरों को सबक सिखाने के मामले में किसी हद तक जाने से नहीं चूकते हैं। मामला दमोह के टॉकीज इलाके का है। जहां एक नकली किन्नर को पकड़ कर असली किन्नरों ने सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में जिस तरह से सबक सिखाया वह दूसरे लोगों के लिए "चुल्लू भर पानी में डूब मरने जैसा" था। वीडियो में देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं किस तरह सार्वजनिक स्थल पर सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में किन्नरों ने नकली किन्नर का चीर हरण कर दिया और मौजूद सैकड़ों लोगों में से किसी की भी दम उसे बचाने की नहीं पड़ी यह बात अलग है कि नकली किन्नर द्वारा करने पर किन्नरों ने उसे फटकार के साथ बक्श दिया।
"मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है, जो है नाम वाला वही तो बदनाम है"। प्रकाश मेहरा की 80 के दशक में आई लावारिस फिल्म में अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया यह गीत आज भी लोकप्रिय होने के साथ थर्ड जेंडर याने किन्नरों की प्रासंगिकता को प्रगट करता है। कहते हैं किन्नर का आशीर्वाद और श्राप कभी खाली नहीं जाता। शायद यही वजह है खुशी के मौकों पर लोग किन्नरों की मनमानी को भी नजर अंदाज कर मनमाना धन देने से नहीं चूकते हैं। शादी विवाह का अवसर हो या फिर घर में नई संतान का आगमन पता लगते ही किन्नर अपनी कंपनी के साथ पहुंच ही जाते हैं। फिर चाहे आप कॉलोनी में रहते हो या गांव देहात में।
फर्जीवाड़े को बर्दाश्त नहीं करते, नकली को सबक सिखाया
आमतौर पर किन्नरों को दूसरों की मदद करने वाला, मिलनसार, दयालु माना जाता है। महा भारत युद्ध के दौरान शिखंडी की भूमिका सभी को याद होगी। जिनकी मदद की जरूरत पांडवों को भी पड़ी थी और स्वयं नारायण श्री कृष्ण ने शिखंडी की तारीफ करते हुए आशीर्वाद भी दिया था। इतना सब होने के बावजूद वर्तमान समय में किन्नरों और उनके पेशे के मायने भी बदलते जा हैं। शायद यही वजह है आम आदमी किन्नरों को अच्छी नजर से नहीं देखता तथा उनसे बचने की कोशिश करता है। इसके बाद भी यह लिखने में कोई संकोच नहीं है कि किन्नरों के अंदर भी मानवीय दिल होता है। उनके साथ जो जैसा व्यवहार करते हैं शायद वह उनसे वैसे ही पेश आते हैं। कुदरत का करिश्मा महाभारत के जमाने से शिखंडी के रूप में चला रहा है। ऐसे में जहां तक हो सके इनकी हंसी उड़ाने से बचने की कोशिश हम सभी को करना चाहिए। अटल राजेंद्र जैन
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