तांत्रिक ने अस्पताल में की सर्पदंश पीड़िता की झाड़-फूंक
परिजन बेशरमी के साथ चुपचाप झाड़-फूंक तमाशा करवाने में व्यस्त थे, वहीं अन्य मरीजों के रिश्तेदार यह सोच रहे थे की अरे वाह यहां तो झाड़-फूंक से भी इलाज की छूट है। ऐसे में सवाल यही उठ रहे थे कि क्या चारों तरफ से चमकीले टाइल्स और सीसीटीवी कैमरा पर लाखों की राशि खर्च कर इसीलिये सुसज्जित किया गया है कि यहां पर झाड़-फूंक से इलाज के नाम पर भी कोई रोक-टोक ना हो ? जिला अस्पताल के गैलरी मे मिशन झाड़-फूंक की केंद्र बिंदु बनी यह महिला इमरती बाई 25 वर्ष पति रूप सिंह लोधी निवासी बिछुआ चौकी फुटेरा थाना बटियागढ़ की निवासी बताई जा रही है।
14 जुलाई को सर्पदंश का शिकार होने के बाद इस महिला को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। महिला मेडिकल वार्ड में 9 नंबर पलंग पर से रात करीब 10 बजे इस महिला को पुरुष मेडिकल वार्ड के सामने फर्श पर बैठाकर झाड़फूंक के जरिये इलाज दिलाया गया। परिजनों की मौजदगी में नीम की पत्तियो, पानी, कांसे की थाली एवं छोटे पत्थर का उपयोग करते हुए देर तक तांत्रिक की झाड़फूंक चलती रही। हाथ मे वाटल की निडिल लगे हालात में अंधविश्वास का इलाज करा कर वह महिला वापस अपने पलंग पर जाकर फिर लेट गई। आधे 1 घंटे से अधिक तक यह सब चलता रहा। लेकिन सीसीटीवी कैमरों से लैस अस्पताल प्रबंधन इन सब हालात से अनजान बना रहा।
इस संदर्भ में रात में ही जब ड्यूटी डॉक्टर ए पी जैन का ध्यान आकर्षित कराया गया तो उनका कहना था कि अंध विश्वास के चलते लोग ऐसा कराते है। मैं दूसरे मरीजों के चेकअप में लगा हुआ था जिससे मेरी जानकारी में यह मामला नही आ पाया। कुल मिलाकर जिला अस्पताल में इलाज कराने आने वालों के अंधविश्वास को किस तरह से बढ़ावा देकर इस पर पर्दा डालने का प्रयास प्रबंधन द्वारा किया जाता है तथा अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए मरीज तथा उसके परिजनों को जिम्मेदार ठहराया जाता है इसकी बानगी इस पूरे मामले से स्पष्ट हो जाती है।
दमोह के जिला अस्पताल में अंधविश्वास के खेल में शर्मसार कर देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं। सर्पदंश की शिकार एक महिला को उसके वार्ड से बाहर लाकर पुरुष मेडिकल बोर्ड के सामने की गई झाड़-फूंक की इन तस्वीरों को देखकर नजरें झुक जाना स्वाभाविक है। लेकिन जागरूकता के लिए इस तरह की तस्वीर, वीडियो और यह खबर आप तक पहुंचा रहे हैं। जिससे भविष्य में कोई अन्य महिला इस तरह के शर्मसार कर देने वाले झाड़-फूंक का शिकार नहीं हो सके...दमोह जिला अस्पताल में एक बार फिर झाड़-फूंक अर्थात तंत्र मंत्र के जरिए इलाज के अंधविश्वास का खुला तमाशा देखने को मिला है, मामला रात करीब 10 बजे का है। जब सर्पदंश की शिकार एक महिला को उसके परिजन फीमेल वार्ड से बाहर निकाल के ले गए और मेल मेडीकल वार्ड के गलियारे में महिला को बैठा कर एक तांत्रिक के जरिए सर्प के विष का उतरन कराने के लिए देर तक झाड़-फूंक की जाती रही। इस दौरान महिला के हाथ में बॉटल की निडिल भी लगी हुई थी। वहीं महिला भी पूरे होशो हवास में नजर आ रही थी। जब कि तांत्रिक द्वारा की जाने वाली झाड़-फूंक की क्रियाएं मैं महिला के पिछले ऊपरी हिस्से को अर्धनग्न कर दिया गया था।
परिजन बेशरमी के साथ चुपचाप झाड़-फूंक तमाशा करवाने में व्यस्त थे, वहीं अन्य मरीजों के रिश्तेदार यह सोच रहे थे की अरे वाह यहां तो झाड़-फूंक से भी इलाज की छूट है। ऐसे में सवाल यही उठ रहे थे कि क्या चारों तरफ से चमकीले टाइल्स और सीसीटीवी कैमरा पर लाखों की राशि खर्च कर इसीलिये सुसज्जित किया गया है कि यहां पर झाड़-फूंक से इलाज के नाम पर भी कोई रोक-टोक ना हो ? जिला अस्पताल के गैलरी मे मिशन झाड़-फूंक की केंद्र बिंदु बनी यह महिला इमरती बाई 25 वर्ष पति रूप सिंह लोधी निवासी बिछुआ चौकी फुटेरा थाना बटियागढ़ की निवासी बताई जा रही है।
इस संदर्भ में रात में ही जब ड्यूटी डॉक्टर ए पी जैन का ध्यान आकर्षित कराया गया तो उनका कहना था कि अंध विश्वास के चलते लोग ऐसा कराते है। मैं दूसरे मरीजों के चेकअप में लगा हुआ था जिससे मेरी जानकारी में यह मामला नही आ पाया। कुल मिलाकर जिला अस्पताल में इलाज कराने आने वालों के अंधविश्वास को किस तरह से बढ़ावा देकर इस पर पर्दा डालने का प्रयास प्रबंधन द्वारा किया जाता है तथा अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए मरीज तथा उसके परिजनों को जिम्मेदार ठहराया जाता है इसकी बानगी इस पूरे मामले से स्पष्ट हो जाती है।
देखना होगा AtalNews24 पर यह यह खबर सामने आने के बाद जिला अस्पताल की मुखिया सिविल सर्जन मैडम भविष्य में इस तरह के हालात रोकने कोई खास कदम उठाती है अथवा मरीजों के परिजनों को ही जिम्मेदार ठहराती रात गई बात गई के रवैये को बरकरार रखती है। अटलराजेंद्र जैन की रिपोर्ट
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