कांग्रेस खेमे में पहुच गए भाजपा के दो विधायक-
भाजपा छोड़कर काँग्रेस का दामन थामने वालो में पहला नाम मैंहर विधायक नारायण त्रिपाठी का रहा। जिनके काफी दिनों से कांग्रेस में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे। पूर्व मैं भी कांग्रेस का हाथ तथा सपा की साइकिल थाम चुके श्री त्रिपाठी का लंबे समय से सतना सांसद भाजपा नेता गणेश सिंह व उनके भाई से विरोध चल रहा था। उनकी शिकायतो पर भाजपा आलाकमान की अनदेखी यह तय कर चुकी थी कि वह कभी भी हाथ थाम सकते है। परंतु भाजपा को सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि कर्नाटक के नाटक के बाद मप्र में इसके पलट हो सकता है।
इधर कमल को छोड़ कमलनाथ का हाथ थामने वाले दूसरे विधायक शहडोल जिले के ब्यौहारी से विधायक शरद कौल है। पूर्व कांग्रेसी रहे श्री कौल को लेकर भी भाजपा को सपने में घर वापसी की उम्मीद नहीं थी। सूत्रों की माने तो दल बदल में माहिर कुछ और विधायक जल्द ही कमल नाथ सरकार के साथ खड़े नजर आ सकते हैं। इन विधायकों की कांग्रेस में घर वापसी कराकर कमल नाथ भाजपा के साथ आये दिन दबाव बनाने वाली बसपा विधायक राम बाई तथा सरकार को समर्थन दे रहे सपा व कुछ निर्दलीय विधायको के प्रेशर को भी कम करना चाह रहे है।
भोपाल। मप्र विधानसभा में दंड विधि संशोधन बिल पर मत विभाजन के दौरान उम्मीद से अधिक वोट पाने वाली कमलनाथ सरकार ने एक बार फिर भाजपा को तगड़ा झटका दिया। कर्नाटक की तर्ज पर मप्र में नाटक शुरू होने के पहले ही भाजपा के 2 विधायकों ने कमल को छोड़कर कमलनाथ का हाथ थाम कर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के दावों की हवा निकाल कर रख दी है। पहले भी कांग्रेस में रहे यह दोनों विधायक मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ प्रेस ब्रीफिंग के बाद वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी के आवास पर पहुंचे। जहां उन्होंने भाजपा में उपेक्षा का आरोप लगाते हुए दम घुटने की बात कही।मप्र विधानसभा में 121 विधायकों के समर्थन से 8 माह पहले सरकार बनाने वाले कमलनाथ की सरकार को आज विधानसभा में दंड विधि संशोधन बिल पर मत विभाजन के दौरान 122 मत हासिल हुए थे। जिससे भाजपा के एक विधायक के सरकार के पक्ष में वोट देने के कयास लगाए जा रहे थे। परंतु कुछ ही देर में जब भाजपा के दो विधायक मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ नजर आए तो तस्वीर साफ होते देर नही लगी।
भाजपा छोड़कर काँग्रेस का दामन थामने वालो में पहला नाम मैंहर विधायक नारायण त्रिपाठी का रहा। जिनके काफी दिनों से कांग्रेस में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे। पूर्व मैं भी कांग्रेस का हाथ तथा सपा की साइकिल थाम चुके श्री त्रिपाठी का लंबे समय से सतना सांसद भाजपा नेता गणेश सिंह व उनके भाई से विरोध चल रहा था। उनकी शिकायतो पर भाजपा आलाकमान की अनदेखी यह तय कर चुकी थी कि वह कभी भी हाथ थाम सकते है। परंतु भाजपा को सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि कर्नाटक के नाटक के बाद मप्र में इसके पलट हो सकता है।
इधर कमल को छोड़ कमलनाथ का हाथ थामने वाले दूसरे विधायक शहडोल जिले के ब्यौहारी से विधायक शरद कौल है। पूर्व कांग्रेसी रहे श्री कौल को लेकर भी भाजपा को सपने में घर वापसी की उम्मीद नहीं थी। सूत्रों की माने तो दल बदल में माहिर कुछ और विधायक जल्द ही कमल नाथ सरकार के साथ खड़े नजर आ सकते हैं। इन विधायकों की कांग्रेस में घर वापसी कराकर कमल नाथ भाजपा के साथ आये दिन दबाव बनाने वाली बसपा विधायक राम बाई तथा सरकार को समर्थन दे रहे सपा व कुछ निर्दलीय विधायको के प्रेशर को भी कम करना चाह रहे है।
कुल मिलाकर कर्नाटक के नाटक की पुनरावृत्ति की आस लगाए बैठे भाजपा नेताओं के लिए दो विधायको का कांग्रेस का हाथ थामना जोर का झटका धीरे से लगने की कहावत को चरितार्थ करने जैसा नजर आ रहा है। जबकि कमलनाथ समर्थक उत्साह में अब यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि देखते जाइए आगे आगे होता है क्या। फिल हाल कांग्रेस ने घर वापसी करने वाले दोनों विधायको को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया है। अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट
0 Comments