पुत्र का फर्ज निभाकर बेटी ने किया अंतिम संस्कार-
दमोह। समाज मे अब बदलाव साफ देखा जा सकता है पुरानी परम्पराओ को तोड़कर एक पिता की इकलौती पुत्री ने अपने पिता का संकल्प पूरा किया और जब पिता की मौत हुई तो अंतिम संस्कार भी बेटी ने किया और अपने पिता को मुखाग्नि दी। आम चोपड़ा निवासी राजेश मगरोठिया ने मरने से पहले उन्होंने अपनी पत्नी से कहा था कि मेरे मरने के बाद मेरा अंतिम संस्कार मेरी बेटी ही करेगी।
बीती रात जब उनकी तबियत बिगड़ी और हार्ट अटैक से मौत हो गई तो शुक्रवार को चहेती बेटी आस्था ने अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी की और मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया। उनकी धर्मपत्नी ने बताया कि आस्था के पिता उसे बहुत प्यार करते थे और कहा करते थे कि जब में मर जाऊं तो मेरा अंतिम संस्कार मेरी बेटी ही करेंगी। और आखिर बेटी ने ही बेटे होने का फर्ज भी निभा दिया और समाज को एक सन्देश दे दिया कि बेटियां किसी से कम नहीं।
दमोह। समाज मे अब बदलाव साफ देखा जा सकता है पुरानी परम्पराओ को तोड़कर एक पिता की इकलौती पुत्री ने अपने पिता का संकल्प पूरा किया और जब पिता की मौत हुई तो अंतिम संस्कार भी बेटी ने किया और अपने पिता को मुखाग्नि दी। आम चोपड़ा निवासी राजेश मगरोठिया ने मरने से पहले उन्होंने अपनी पत्नी से कहा था कि मेरे मरने के बाद मेरा अंतिम संस्कार मेरी बेटी ही करेगी।
बीती रात जब उनकी तबियत बिगड़ी और हार्ट अटैक से मौत हो गई तो शुक्रवार को चहेती बेटी आस्था ने अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी की और मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया। उनकी धर्मपत्नी ने बताया कि आस्था के पिता उसे बहुत प्यार करते थे और कहा करते थे कि जब में मर जाऊं तो मेरा अंतिम संस्कार मेरी बेटी ही करेंगी। और आखिर बेटी ने ही बेटे होने का फर्ज भी निभा दिया और समाज को एक सन्देश दे दिया कि बेटियां किसी से कम नहीं।
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