मौकापरस्त समझ बैठे हैं अपने को निर्णायक प्रत्याशी-
टीकमगढ़ छतरपुर संसदीय सीट पर मुकाबला बेहद रोचक है सीधी टक्कर कांग्रेस और भाजपा के बीच है। जहां कांग्रेस ने उम्मीदवार किरण अहिरवार को बनाया है तो वहीं भाजपा ने वीरेंद्र खटीक पर फिर दांव खेला है। जबकि भाजपा से बगावत करके साइकिल पर सवार हुए समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आरडी प्रजापति चाह कर दी मुकाबले को तिरकोणीय नहीं बना पा रहे हैं।
टीकमगढ़ छतरपुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी किरण अहिरवार जातिगत समीकरणों के साथ शिक्षित, स्थानीय महिला उम्मीदवार होने के साथ जनता में अच्छी खासी पकड़ रखती है। और उनके परिवार शिक्षत योग्य है। कांग्रेस द्वारा इन को पार्टी टिकट दिए जाने के बाद से कांग्रेस समर्थकों में जहां उत्साह का संचार हुआ है, वहीं पिछले अनेक चुनाव के बाद कांग्रेस यहा नजदीकी मुकाबले की स्थिति में आ गई है।
भाजपा ने वीरेंद्र खटीक पर फिर से दांव खेला है। वीरेंद्र दो बार से संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं लेकिन उनके दर्शन जनता को दुर्लभ हो गए थे। आज उस दुर्लभ दर्शनों का जनता सीधे उनके मुंह पर जवाब देती दिख रही है। वहीं उनकी क्षेत्र में कोई ऐसी उपलब्धि नहीं है जिससे जनता उनसे सीधे प्रभावित हो सके। चोपली सांसद के नाम से प्रसिद्ध वीरेंद्र खटीक चौपाल लगाना ही भूल गए। यह भी जनता आज पूछने को तैयार है कि कहां गई वह चौपाल ? जहां होती थी जनता की समस्या हल ? आम मतदाताओं का कहना है कि उनकी चौपाल से कोई भी क्षेत्र में ऐसी समस्या का हल नहीं हुआ जिसे उन्हें चौपाल का श्रय मिल सके।
वहीं आरडी प्रजापति की बात करें तो यह रेत के नाम से काफी प्रचलित रहे हैं इनका रेत से संबंध बड़ा गहरा रहा है कभी क्षेत्र की समस्याओं को लेकर धरने पर बैठने की धमकियां दिया करते थे और धमकियों के साथ वह धरने पर बैठे भी लेकिन जब तक विधायक नहीं थे ,विधायक बनने के बाद रेत से ऐसा लगाव हुआ कि विधायक बनने के पहले किए हुए बादे चाहे वह रुजवा कि क्षेत्र में समस्या हो या माफियाओं को क्षेत्र से भागने की बात हो सब भूल गए और खुद रेत माफिया के नाम से बदनाम हो गए, वही अपने किए हुए वादे और मुद्दों को कब भूल गए 5 सालों तक जनता को पता ही नहीं चला। अपनी ही सरकार के खिलाफ रेत माफियाओं के लिए विधानसभा आवाज उठाते देखे गए पर रेत माफियाओं ने ऐसी रेत की रेउड़ी खिलाई की सभी मुद्दे रेत में ही दफन हो गए, वही जब विधानसभा चुनाव की बात आई तो पार्टी ने टिकट नहीं दिया, बेटे को टिकट दे दिया तब तक तो पार्टी की खूब तारीफ करते सुने गए, लेकिन जब लोकसभा चुनाव की बात आई टिकट की दौड़ में भी शामिल हो गए। टिकट मिलने का आश्वासन भी मिला, तब तक पार्टी के तारीफों के पुल बांधते थक नहीं रहे थे। जैसे ही टिकट क्या कटी आग बबूला हो गए बगावत पर उतारू हो गए।
सूत्रों ने बताया की कांग्रेस से भी संपर्क किया लेकिन कांग्रेस में दाल ना गली तो सीधे लखनऊ रवाना हुए और समाजवादी पार्टी का दामन थाम कर अपने आप को पाक साबित करते हुए बीजेपी को भला बुरा कहने में कोई कसर नहीं छोड़ी, नहीं अबी छोड़ रहे हैं। अब सोचने वाली बात है कि पार्टी गद्दार है या पार्टी से जुड़े रहे पूर्व विधायक आरडी प्रजापति जी। उसका जवाब तो जनता 6 मई को अपने मत के अधिकार से देगी । किरण अहिरवार क्षेत्रीय महिला उम्मीदवार होने के साथ जनता में अच्छी खासी पकड़ रखती है और उनके परिवार शिक्षत योग्य है। इसका उन्हें सीधे तौर पर फायदा पहुंचाता दिख रह है। मोदी के नाम से चुनाव लड़ रहे बीजेपी के प्रत्याशी मोदी के ही सहारे अपनी नैया पार करने की जुगत में है ,लेकिन जनता बखूबी जानती है कि हमारे प्रतिनिधि ने हमारे लिए कितना क्या किया इसका जवाब वोटर अपनी मत के अधिकार के द्वारा ही देने को तैयार हैं चाहे वह वीरेंद्र खटीक के पक्ष में हो या विपक्ष में जनता ही जनार्दन है। छतरपुर से आशीष उपाध्याय की रिपोर्ट
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