अविश्वास प्रस्ताव खारिज लेकिन बयानबाजी जारी-
दमोह। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव एक सदस्य चंद्रबती अठ्या की अनुपस्थिति के कारण खारिज हो गया। पंचायत राज अधिनियम के प्रावधान के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए जितने सदस्यों की जरूरत थी उसकी पूर्ति तो कर ली गई थी। लेकिन कुल सदस्यों मै से जितने वोट पड़ने जरूरी थे, उससे एक सदस्य कम रह गया।
जिससे अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया लेकिन इसके बाद सदस्यों और अध्यक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप की जुबानी जंग जारी है। आप भी सुने अविश्वास प्रस्ताव के बाद किसने क्या कहा।
जिला पंचायत अध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव सम्मेलन के लिए अधिकृत पीठासीन अधिकारी अपर कलेक्टर आनन्द कोपरिया के बयानों से स्पष्ट होता है कि 12 में से 8 सदस्यों के अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में होने के बाद भी वह कैसे खारिज हो गया। अध्यक्ष शिव चरण पटेल के खिलाफ 9 सदस्यों ने अविश्वास का प्रस्ताव रखा था यदि 9 सदस्य वोट करते तो कुर्सी जाना तय थी। लेकिन एक चंद्रवती अठ्या एन मौके पर अविश्वास प्रस्ताव में शामिल नहीं हुई और बना बनाया खेल बिगड़ गया।
अविश्वास प्रस्ताव लाने में महती भूमिका का निर्वहन करने वाले जिला पंचायत सदस्य राघवेंद्र सिंह ऋषि लोधी ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है इनका कहना है कि धनबल और बाहुबल के दम पर शिवचरण पटेल ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज कराने के लिए बसपा विधायक राम बाई से गुप्त समझौता किया था। जिस वजह से उन की एक सदस्य चंद्रावती अठ्या वोटिंग में हिस्सा लेने नहीं पहुंच सकी।
इधर बसपा समर्थक जिला पंचायत सदस्य लता चौरसिया ने अध्यक्ष शिवचरण के अलावा पूर्व में उपाध्यक्ष रही बसपा नेत्री राम बाई पर भी गंभीर आरोप लगाए है। यहां तक कहना है कि यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता तो अध्यक्ष उपाध्यक्ष की मिलीभगत से 4 साल में जो गड़बड़ियां हुई थी उनकी पोल खुलते देर नहीं लगती। इसी डर से पूर्व उपाध्यक्ष ने वर्तमान अध्यक्ष को बचाने मोर्चा खोल रखा था।
जिला पंचायत में भाजपा समर्थक सदस्य संतोष अठ्या ने भी अपनी पार्टी से जुड़े जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सांसद द्वारा दी गई चेतावनी के बेअसर रहने के मामले में इनका कहना है कि यह गैर दलीय चुनाव थे। तथा उनसे पार्टी जिला अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष ने कवि कोई संपर्क नहीं किया जिस वजह से व अन्य सदस्यों के साथ अविश्वास प्रस्ताव में शामिल रहे।
अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले सदस्यों के गंभीर आरोपों के जवाब में जिला पंचायत के अध्यक्ष शिवचरण गोलमोल बात करते नजर आए उन्होंने सदस्यों के आरोपों का जवाब देने की वजह है यह कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव जाति वादी संघर्ष की स्थिति निर्मित करने के लिए लाया गया था यदि वह पारित हो जाता तो जातिवादी संघर्ष की स्थिति निर्मित हो जाती।
उक्त सभी बयानबाजी के हालात देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला पंचायत के अविश्वास प्रस्ताव को भले ही खारिज कर दिया गया हो लेकिन सदस्यों के मन में अभी भी इस बात का मलाल है की यदि राम बाई हस्तक्षेप करके एक सदस्य को वोटिंग में आने से नहीं रोकती तो बड्डा की कुर्सी जाना तय थी। लेकिन 4 साल पहले हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दौरान जिस तरह से बसपा नेत्री राम बाई शिवचरण के लिए संकट मोचक बन कर उभरी थी वह इस बार भी संकटमोचक ही साबित हुई।
उक्त सभी बयानबाजी के हालात देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला पंचायत के अविश्वास प्रस्ताव को भले ही खारिज कर दिया गया हो लेकिन सदस्यों के मन में अभी भी इस बात का मलाल है की यदि राम बाई हस्तक्षेप करके एक सदस्य को वोटिंग में आने से नहीं रोकती तो बड्डा की कुर्सी जाना तय थी। लेकिन 4 साल पहले हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दौरान जिस तरह से बसपा नेत्री राम बाई शिवचरण के लिए संकट मोचक बन कर उभरी थी वह इस बार भी संकटमोचक ही साबित हुई।
हालांकि शिवचरण पटेल अविश्वास प्रस्ताव के खरे जो जाने का श्रेय भगवान शिव को देते नजर आए तथा अपने समर्थक 2 सदस्यों के साथ वह बांदकपुर धाम जाकर भगवान जागेश्वर नाथ का पूजन अर्चन करके शुक्रिया भी अदा करते नजर आए।
इधर अविश्वास प्रस्ताव बचाने के चक्कर में बड्डा ने जो आरोप पूर्व मंत्री जयंत मलैया और पूर्व विधायक लखन पटेल पर लगाकर पार्टी के अंदर खटास भरे हालात निर्मित किये तथा सांसद प्रहलाद पटेल ने बड्डा के पक्ष में वोटिंग करने प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर तीन सदस्यों को जो चेतावनी दी थी उसके बेअसर रहने से साफ हो गया है की लोकसभा चुनाव की नजदीकी के चलते भाजपा में अंदरूनी घमासान चरम पर है। तथा पार्टी संगठन के नियंत्रण से सब कुछ बाहर होता है। अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट
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