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नाबालिग से बलात्कार के मामले में पुलिस ने लगाया खात्मा.. विशेष न्यायाधीश पन्ना ने सुनाई उम्र कैद की सजा, और दो लाख दो हजार रुपए का जुर्माना..

पुलिस के खात्मे को खारिज कर सुनाई सजा-
पन्ना। तीन साल पूर्व एक 15 वर्षीय नाबालिग के साथ हुए बलात्कार के मामले में पुलिस विवेचना के बाद खात्‍मा लगा दिया गया था। लेकिन माननीय न्‍यायालय द्वारा इसे अस्‍वीकार करते हुए पूरे घटनाक्रम की सुनवाई की। विशेष न्यायाधीश ने  अभियुक्‍त को आजीवन कारावास और दो लाख 2 हजार रूपये का अर्थदण्‍ड सुना कर न्यायिक प्रक्रिया की एक और अनूठी मिसाल कायम की है। 
घटना दिनांक 07.12.15 के समय 11.50 बजे स्‍टाफ नर्स सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र देवेन्‍द्रनगर ने, थाना-देवेन्‍द्रनगर को इस आशय का पत्र भेजा कि, पीडिता जिसकी उम्र 15 वर्ष है, पेट दर्द एवं खून आने के कारण सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र देवेन्‍दनगर में इलाज हेतु भर्ती कराई गई है, जॉंच के दौरान बच्‍चा बाहर व नाल अंदर था। बच्‍चा लगभग 5-6 महीने का था जो पैदा होने के तुरंत बाद खत्‍म हो गया। महिला की हालत गंभीर होने पर उसे जननी वाहन से जिला चिकित्‍सालय पन्‍ना भेजा गया।
 उक्‍त सूचना पर थाना देवेन्‍द्रनगर द्वारा जिला चिकित्‍सालय पन्‍ना पहुंचकर पीडिता तथा उसके घरवालों से घटना के संबंध मे पूछतांछ की गई, तथा थाना देवेन्‍द्रनगर के द्वारा मर्ग-क्रमांक 45/15 कायम किया गया। और पीडिता से पूछतांछ करने पर उसने बताया कि, आरोपी भूरी उर्फ कुंजबिहारी पाण्‍डेय के द्वारा तालाब के पास उससे जबरन बलात्‍कार किया गया और किसी से बताने पर उसे और उसके परिवारवालों को जान से मारने की धमकी दी गई, आरोपी के द्वारा पीडिता के साथ बलात्‍कार करने पर पीडिता को गर्भ ठहर गया था, पीडिता को पेट में दर्द होने के कारण उसकी मॉं के द्वारा सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र देवेन्‍द्रनगर में उसे इलाज हेतु लाया गया था, जहॉं 5-6 माह के शिशु का गर्भपात हुआ।
नवजात शिशु का शव परीक्षण और पीडिता के मेडीकल परीक्षण उपरांत, थाना-देवेन्‍द्रनगर में अपराध क्रमांक 227/15 धारा 376, 506 भा.द.वि. तथा ¾ लै. अ. बा. का. सं. अधि. के अन्‍तर्गत, आरोपी भूरी उर्फ कुंजबिहारी पाण्‍डेय के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया, तथा घटनास्‍थल थाना-सलेहा क्षेत्र के  अन्‍तर्गत होने के कारण केस- डायरी मय प्रपत्रों के थाना-सलेहा भेजी गयी। थाना-सलेहा में असल अपराध क्रमांक 197/15 पंजीबद्ध कर अग्रिम विवेचना प्रारंभ की गई, विवेचना दौरान पीडिता के धारा 164 द.प्र.सं. के कथन माननीय न्‍यायालय में लेखबद्ध कराये गये। पीडिता,व उसके माता-पिता तथा अन्‍य साक्षियों के कथन विवेचना के दौरान लेख किये गये। आरोपी भूरी उर्फ कुंजबिहारी पाण्‍डेय एवं पीडिता तथा नवजात शिशु के फीमर बोन का एफ.एस.एल सागर की डी.एन.ए फिंगर प्रिटिंग यूनिट से जाँच कराई गई।
 डी.एन.ए प्रोफाइल में यह अभिमत अंकित किया गया कि, पीडिता नवजात शिशु की जैविक माता है किन्‍तु आरोपी भूरी उर्फ कुंजबिहारी पाण्‍डेय नवजात शिशु का जैविक पिता नहीं है इसी आधार पर थाना सलेहा के द्वारा प्रकरण में खात्‍मा प्रतिवेदन माननीय न्‍यायालय के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया।
 खात्‍मा प्रतिवेदन पर विचार किये जाने के पूर्व माननीय न्‍यायालय के द्वारा पीडिता के धारा 164 द.प्र.सं. के कथन, पीडिता की मेडीकल रिपोर्ट, तथा समस्‍त साक्षियों के धारा 161 द.प्र.सं. के कथनों का अवलोकन कर, गवाहों को जरिये समंस तलब किया गया, माननीय न्‍यायालय के समक्ष बयान देते समय पीडिता ने यह बताया था कि, आरोपी भूरी उर्फ कुंजबिहारी पाण्डेय द्वारा उसके साथ जबरन बलात्‍कार किया गया है तथा उसने यह भी बताया था कि, आरोपी भूरी उर्फ कुंजबिहारी पाण्‍डेय ने उससे कहा था कि, उसने ब्‍लड सेंपल बदलवा दिया है और जब मैं न्‍यायालय कथन देने आ रही थी, तब आरोपी अपनी बड़ी वाली कार में मिला था और धमकी दिया कि, पन्‍ना ब्‍यान देने मत जाओं, नहीं तो ट्रेक्‍टर चढवाकर तुम लोगों को खत्‍म कर देंगे। और वह चाहती है कि, ब्‍लड सेंपल की दोबारा जॉंच की जाये। 

माननीय न्‍यायालय के द्वारा पीडिता व उसके माता-पिता के कथनों तथा प्रकरण की समस्‍त परिस्थितियों पर विचार करते हुये, थाना सलेहा के द्वारा अप. क्र. 197/15 मे प्रस्‍तुत खात्‍मा प्रतिवेदन को अस्‍वीकार करते हुये, केस डायरी में संलग्‍न दस्‍तावेजी साक्ष्‍य एवं पीडिता और उसके माता-पिता के कथनों के आधार पर आरोपी भूरी उर्फ कुंज बिहारी पाण्‍डेय के विरूद्ध धारा 376,506 भा.द.वि. एवं 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के अर्न्तगत अपराध का संज्ञान लिया गया था।  
  ‘’माननीय न्‍यायालय ने अपराध का संज्ञान लेते समय अपने आदेश में यह भी लेख किया  है कि, ‘’कोई भी नाबालिक अविवाहित लडकी और उसके माता-पिता, सील को दाव पर लगाकर बलात्‍कार जैसे गंभीर अपराध में किसी को झूंठा नहीं फंसाना चाहेंगें, पीडिता ने अपने खात्‍मा प्रतिवेदन कथनों में अपने साक्ष्‍य में यह प्रकट किया है, कि आरोपी के द्वारा पैसे तथा प्रभाव का इस्‍तेमाल करते हुये ब्‍लड सेंपल को बदलवा दिया गया है, इन परिस्थितियों में डी.एन.ए प्रोफाइल में नकारात्‍मक रिपोर्ट की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।‘’     
    आरोपी भूरी उर्फ कुंज बिहारी पाण्‍डेय के विरूद्ध धारा 376, 506 भा.द.वि. व 5/6 लै. अ. बा. कासं.अधि. के अन्‍तर्गत आरोप विरचित किये गये। अभियोजन की ओर से श्री प्रवीण कुमार सिंह, जिला लोक अभियोजन अधिकारी पन्‍ना के द्वारा, साक्षियों को जरिये समंस तलब कराकर साक्षियों के कथन माननीय न्‍यायालय के समक्ष लेखबद्ध कराये गये। जिसमें पीडिता के द्वारा, आरोपी भूरी उर्फ कुंजबिहारी पाण्‍डेय के द्वारा बलात्‍कार किये जाने की बात बताई गयी थी, पीडिता के माता-पिता के द्वारा भी माननीय न्‍यायालय के समक्ष हुये कथनों में, आरोपी भूरी उर्फ कुं‍जबिहारी पाण्‍डेय के द्वारा उसकी पुत्री के साथ बलात्‍कार किये जाने की बात बताई गई थी।
     प्रदेश में संभवत: इस तरह का यह पहला मामला है जिसमें डी.एन.ए. रिपोर्ट नेगेटिव होने पर पुलिस द्वारा खात्‍मा प्रस्‍तुत किया गया था और माननीय न्‍यायालय के द्वारा पुलिस का खात्‍मा प्रतिवेदन अस्‍वीकार कर संज्ञान लिया गया था । प्रकरण की गंभीरता को देखते हुये महानिदेशक/संचालक लोक अभियोजन, श्री राजेन्‍द्र कुमार (आई.पी.एस.) के द्वारा प्रकरण की लगातार मानिटरिंग की गई तथा समय-समय पर आवश्‍यक दिशा-निर्देश दिये गये।
    प्रकरण का विचारण माननीय श्री अमिताभ मिश्रा, विशेष न्यायाधीश, जिला-पन्ना (म.प्र.) के न्यायालय में हुआ, जिसमें अभियोजन के द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍य और न्‍यायिक-दृष्‍टांतों के आधार पर माननीय न्‍यायालय ने आरोपी भूरी उर्फ कुंजबिहारी पाण्‍डेय को दोषी पाया। माननीय न्‍यायालय से अभियोजन के द्वारा अभियुक्‍त को कठोर से कठोर दंड से दंडित किये जाने का निवेदन किया गया।  माननीय न्यायालय के द्वारा अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए अभियुक्‍त भूरी उर्फ कुंज बिहारी पाण्‍डेय पिता श्री कृष्‍ण मोहन पाण्‍डेय, उम्र-32 वर्ष, निवासी ग्राम-कठ‍वरिया, थाना-सलेह-पन्‍ना (म.प्र.) को धारा 376 भा.द.वि. व धारा 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का   संरक्षण अधिनियम में आजीवन कारावास और 2 लाख रूपये का अर्थदण्‍ड से दंडित किया गया। अर्थदण्‍ड की अदायगी न करने पर एक वर्ष का अतिरिक्‍त कारावास की सजा से दण्डित होगा आरोपी को 506 भाग 2 में दो वर्ष का कारावास और 2000 रूपये के अर्थदण्‍ड से दण्डित किया गया।
  माननीय न्‍यायालय ने अपने फैसले में जुर्माने की राशि 2 लाख रूपये अपील अवधि पश्‍चात् आहता को जरिये संरक्षक देने के लिये आदेशित किया गया,साथ ही  आहत को  क्षति एवं पुर्नवास के संबंध में पीडित प्रतिकस्‍कीम 2015 के अन्‍तर्गत कार्यवाही के लिये निर्णय की प्रति सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजने के लिये निर्देशित किया गया।
  माननीय न्‍यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा कि, आरोपी के द्वारा 15 वर्ष से कम उम्र की अबोध बालिका के साथ किये गये चारित्रिक अपराध की गंभीरता को देखते हुये जिसमें आहत के द्वारा एक मृत नवजात भ्रूण को जन्‍म दिया गया है आरोपी दया का हकदार नहीं है। प्रकरण में जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री प्रवीण कुमार सिंह के द्वारा शासन की ओर से शसक्‍त पैरवी की पन्ना से गणेश विश्वकर्मा की रिपोर्ट

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