हिंडोरिया राजघराने का प्रबल राजयोग फिर सामने:-
इनको भाजपा से बाहर का रास्ता दिखाने वालो में मंत्री जयंत मलैया समर्थकों का खास रोल रहा था। उसके बाद भी भाजपा से नजदीकी रिश्ते बनाए रखने वाले प्रदुमन सिंह की जब लगातार उपेक्षा की जाती रही तो कुछ महीने पहले कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के दमोह आगमन के दौरान उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। और जल्द ही उनको इसका फल भी मिलता नजर आया।
कांग्रेस ने लगातार हार वाली लोधी बाहुल्य दमोह संसदीय क्षेत्र की बड़ा मलहरा विधानसभा क्षेत्र से इन्हें पार्टी टिकट देकर सभी को चौंका दिया। प्रदुम सिंह ने भी कम समय में अधिक प्रयास करके टिकट देने वालों को निराश नहीं किया और छतरपुर जिले की भाजपा की कद्दावर मंत्री ललिता यादव को 15000 से अधिक वोटों से करारी शिकस्त देकर विजय श्री हासिल की। प्रदुमन सिंह यदि भाजपा में होते तो शायद आज भी उन्हें मंडी या नगरीय निकाय चुनाव की टिकिट को संघर्ष करना पड़ता। लेकिन प्रबल राजयोग के हालात ने उन्हें सद्बुद्धि देते हुए कुछ महीने पहले कांग्रेस में शामिल कराकर भाजपा के मंत्री को हराकर विधायक बनाने के बाद मंत्री पद की दौड़ में स्वतह शामिल करा दिया है।
इधर इसी राज घराने के दूसरे सदस्य राहुल सिंह जिला पंचायत के सदस्य होने के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती एवं प्रहलाद पटेल के खास समर्थकों में शुमार रहे हैं। 2 साल पूर्व हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस की ओर से अध्यक्ष पद का प्रत्याशी घोषित किया गया था। लेकिन मंत्री मलैया के राजनैतिक दांव पेंच के चलते राहुल सिंह को एक वोट से हार तथा सांसद प्रह्लाद पटेल के प्रयासों से शिवचरण पटेल को जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर जीत हासिल हुई थी।
उस समय ना राहुल सिंह ने सोचा होगा कि वह मंत्री जयंत मलैया को चुनाव हराकर अपना बदला लेंगे और न मंत्री जयंत मलैया ने सोचा होगा कि जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की राजनीति में दखल का परिणाम इस तरह उभर कर सामने आएगा। फिलहाल कद्दावर मंत्री और प्रदेश के कुबेर कहे जाने वाले जयंत मलैया को पराजित करने के बाद युवा राहुल सिंह दावेदारी भी स्वतह तौर पर कमलनाथ के मंत्रिमंडल में नजर आने लगी है।
कमलनाथ सरकार में हालात के हिसाब से मंत्री पद के प्रबल दावेदार बना गए दमोह जिले के हिंडोरिया राज परिवार के इन दोनों युवा विधायकों को एक साथ मंत्री बनाया जाना तो संभव नहीं होगा। लेकिन किसी एक को मंत्री बनाए जाने की संभावना भी कम नहीं है। देखना होगा अब इनमें से किन का राजयोग ज्यादा जोर मारता है। अग्रिम शुभकामनाओं के साथ.. अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट
दमोह। अंग्रेजो के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंकने वाले हिंडोरिया राजपरिवार के किशोर शाह की शहादत के साथ इस परिवार के सदस्यों के प्रबल राजयोग की चर्चाएं भी हो रही हैं। राजा रजवाड़े जाने के बाद देश के प्रजातंत्र में चुनाव जीतकर राजशाही को पीढ़ी दर पीढ़ी बनाए रखने का मौका कुछ परिवारों को ही हासिल है।दमोह जिले के हिंडोरिया के राज परिवार के दो युवराजों को पहली बार कांग्रेस की टिकट मिलने और पहले ही प्रयास में शिवराज सरकार के 2 मंत्रियों को परास्त करने जैसे हालात ने इनके वर्तमान में चल रहे प्रबल राज योग के हालात को उजागर कर दिया है। दमोह कृषि उपज मंडी के अध्यक्ष रहे प्रदुमन सिंह लंबे समय तक भाजपा के संघर्षशील युवा चेहरे रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री उमा भारती तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री और दमोह सांसद प्रहलाद पटेल के खास सिपाहसालार में शामिल रहे प्रधुम्न सिंह को 4 साल पहले हुए नगरीय निकाय चुनाव के दौरान हिंडोरिया राज परिवार की वरिष्ठ सदस्य के निर्दलीय नगर पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित कराए जाने पर भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था।
इधर इसी राज घराने के दूसरे सदस्य राहुल सिंह जिला पंचायत के सदस्य होने के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती एवं प्रहलाद पटेल के खास समर्थकों में शुमार रहे हैं। 2 साल पूर्व हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस की ओर से अध्यक्ष पद का प्रत्याशी घोषित किया गया था। लेकिन मंत्री मलैया के राजनैतिक दांव पेंच के चलते राहुल सिंह को एक वोट से हार तथा सांसद प्रह्लाद पटेल के प्रयासों से शिवचरण पटेल को जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर जीत हासिल हुई थी।
उस समय ना राहुल सिंह ने सोचा होगा कि वह मंत्री जयंत मलैया को चुनाव हराकर अपना बदला लेंगे और न मंत्री जयंत मलैया ने सोचा होगा कि जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की राजनीति में दखल का परिणाम इस तरह उभर कर सामने आएगा। फिलहाल कद्दावर मंत्री और प्रदेश के कुबेर कहे जाने वाले जयंत मलैया को पराजित करने के बाद युवा राहुल सिंह दावेदारी भी स्वतह तौर पर कमलनाथ के मंत्रिमंडल में नजर आने लगी है।
कमलनाथ सरकार में हालात के हिसाब से मंत्री पद के प्रबल दावेदार बना गए दमोह जिले के हिंडोरिया राज परिवार के इन दोनों युवा विधायकों को एक साथ मंत्री बनाया जाना तो संभव नहीं होगा। लेकिन किसी एक को मंत्री बनाए जाने की संभावना भी कम नहीं है। देखना होगा अब इनमें से किन का राजयोग ज्यादा जोर मारता है। अग्रिम शुभकामनाओं के साथ.. अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट
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