शाह की सभा में उमा देवी को नहीं बुलाया मंच पर-
दमोह जिले के हटा क्षेत्र से दो बार की विधायक उमा देवी खटीक की पार्टी संगठन द्वारा उपेक्षा किए जाने का दंश कम होने का नाम नहीं ले रहा है। पहले उन की विधान सभा की टिकट काटकर ऐसे व्यक्ति को दे दी गई जो महीने भर पहले नौकरी से रिटायर हुआ था।
अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की सभा के दौरान उनको मंच पर चढ़ने नहीं दिया गया। इसके बाद उनका दर्द जुबान पर आते देर नही लगी।भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की सभा के बाद हटा विधायिका उमा देवी खटीक ने किस तरह से अपना दर्द बयान किया आप सुन चुके है। दरअसल उमा देवी अभी 31 दिसंबर तक विधायिका है। वह भी उस पार्टी की जिस के राष्ट्रीय अध्यक्ष दमोह आए थे। परंतु सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें मंच पर नहीं जाने दिया।
इसकी वजह पार्टी संगठन द्वारा जिन वीआईपी की सूची सुरक्षाकर्मियों को सौंपी गई थी उसमैं उमा देवी का नाम नहीं था।अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाली उमा देवी खटीक महिला विधायिका फिर भी उनकी पहले टिकट काटकर और अब अमित शाह की सभा मंच पर जगह नहीं देकर उपेक्षा की गई। इस बात का जितना दर्द उनको है उससे अधिक दर्द शाह के स्वागत अवसर पर मंच पर भूरा गैंग की मौजूदगी को लेकर भी खटकता रहा।
तस्वीर में आप साफ देख सकते हैं कि अमित शाह के स्वागत के मौके पर वीआईपी के साथ साइड में चर्चित भूरा गैंग अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। इनको मंच पर चढ़ने की परमिशन किसने दी और सुरक्षाकर्मियों ने इन्हें क्यों नहीं रोका यह बात सभा में मौजूद हजारों लोगों के साथ उमा देवी खटीक को खटकने वाली रही है। उमा देवी की ऐसी उपेक्षा किसके इशारे पर हुई इसको लेकर पार्टी के बड़े नेता फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं।
बाबा जी ने हाईकमान की तुलना औरंगजेब से कर दी-
भाजपा से बगावत कर के दमोह तथा पथरिया क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे बुंदेल खंड विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया को भले ही पार्टी की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया हो, लेकिन उनके तेवर ठंडे नहीं पड़े हैं। वह पूर्व मंत्री गंगाराम पटेल के साथ पथरिया क्षेत्र में लगातार गांव गांव जाकर जनता से वोट मांग रहे हैं। तथा रात में भी उनकी चौपाले लग रही है।
बाबा जी की ऐसी ही एक चौपाल का वीडियो वायरल हुआ है,जिसमें वह जनता से चर्चा के दौरान वरिष्ठ नेता सरताज सिंह को पार्टी की टिकट नहीं दिए जाने पर पार्टी हाईकमान की तुलना औरंगजेब से कर रहे हैं। वह यही नहीं रुके, उन्होंने यहां तक कह दिया कि जिस तरह औरंगजेब ने अपने पिता को हुकूमत के लिए कैद कर लिया था, इसी तरह से पार्टी के बड़े नेता उन जैसे बुजुर्गों को कैद करके राज करना चाहते हैं।
वीडियो में बाबा जी यह भी कहते नजर आ रहे हैं कि यदि सरताज सिंह और उनको पार्टी दो टिकट दे देती तो क्या बिगड़ जाता। बाबा जी के बगावत भरे तेवरों से पार्टी से हताश कार्यकर्ता वर्ग जहां उनके साथ खुलकर सामने आ रहा है, वही बाबा जी की दस्तक फिलहाल पथरिया क्षेत्र में बने रहने से वहा पर भाजपा प्रत्याशी का प्रचार कम ही नजर आ रहा है।
दमोह जिले के हटा क्षेत्र से दो बार की विधायक उमा देवी खटीक की पार्टी संगठन द्वारा उपेक्षा किए जाने का दंश कम होने का नाम नहीं ले रहा है। पहले उन की विधान सभा की टिकट काटकर ऐसे व्यक्ति को दे दी गई जो महीने भर पहले नौकरी से रिटायर हुआ था।
इसकी वजह पार्टी संगठन द्वारा जिन वीआईपी की सूची सुरक्षाकर्मियों को सौंपी गई थी उसमैं उमा देवी का नाम नहीं था।अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाली उमा देवी खटीक महिला विधायिका फिर भी उनकी पहले टिकट काटकर और अब अमित शाह की सभा मंच पर जगह नहीं देकर उपेक्षा की गई। इस बात का जितना दर्द उनको है उससे अधिक दर्द शाह के स्वागत अवसर पर मंच पर भूरा गैंग की मौजूदगी को लेकर भी खटकता रहा।
बाबा जी ने हाईकमान की तुलना औरंगजेब से कर दी-
भाजपा से बगावत कर के दमोह तथा पथरिया क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे बुंदेल खंड विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया को भले ही पार्टी की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया हो, लेकिन उनके तेवर ठंडे नहीं पड़े हैं। वह पूर्व मंत्री गंगाराम पटेल के साथ पथरिया क्षेत्र में लगातार गांव गांव जाकर जनता से वोट मांग रहे हैं। तथा रात में भी उनकी चौपाले लग रही है।
बाबा जी की ऐसी ही एक चौपाल का वीडियो वायरल हुआ है,जिसमें वह जनता से चर्चा के दौरान वरिष्ठ नेता सरताज सिंह को पार्टी की टिकट नहीं दिए जाने पर पार्टी हाईकमान की तुलना औरंगजेब से कर रहे हैं। वह यही नहीं रुके, उन्होंने यहां तक कह दिया कि जिस तरह औरंगजेब ने अपने पिता को हुकूमत के लिए कैद कर लिया था, इसी तरह से पार्टी के बड़े नेता उन जैसे बुजुर्गों को कैद करके राज करना चाहते हैं।
वीडियो में बाबा जी यह भी कहते नजर आ रहे हैं कि यदि सरताज सिंह और उनको पार्टी दो टिकट दे देती तो क्या बिगड़ जाता। बाबा जी के बगावत भरे तेवरों से पार्टी से हताश कार्यकर्ता वर्ग जहां उनके साथ खुलकर सामने आ रहा है, वही बाबा जी की दस्तक फिलहाल पथरिया क्षेत्र में बने रहने से वहा पर भाजपा प्रत्याशी का प्रचार कम ही नजर आ रहा है।
कुल मिलाकर भाजपा में पहली बार खुलकर बगावत के हालात आने के बाद पार्टी संगठन डैमेज कंट्रोल करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ है। वही उमादेवी की भाजपा अध्यक्ष की सभा में उपेक्षा तथा बाबा जी द्वारा पार्टी हाईकमान की तुलना औरंगजेब से किए जाने के बाद एक नया बहस का मुद्दा प्रचार के लिए विरोधियों को मिल गया है। जिसका जवाब भी अब पार्टी के नेताओं को रहना पड़ेगा।अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट
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