बाबा के सकोर स्थित निवास पर नेताओ का तांता-
दमोह। बुंदेलखंड के शहर के नाम से विख्यात बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष कई बार के सांसद और विधायक पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया को पथरिया से भाजपा की टिकट नहीं देना पार्टी को अब महंगा पड़ता जा रहा है। पार्टी प्रत्याशी लखन पटेल की हालत नाम वापसी के पहले ही पतली नजर आने लगी है। वही बाबा जी दमोह तथा पथरिया से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन वापस निकालने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा दमोह आकर यह कह चुके हैं बाबाजी मान जाएंगे।
प्रभात झा- बाबाजी के बीच मध्यस्थ बने आत्मानंद-
मंगलवार को दमोह पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने पार्टी के स्टार प्रचारक और पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया से मोबाइल पर चर्चा की तथा बाद में स्वामी आत्मानंद सरस्वती में सकोर पहुंचकर बाबाजी और प्रभात झा के बीच मध्यस्थ ता का प्रयास भी किया लेकिन बताया जा रहा है बात नहीं बनी और बाबाजी ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंपर्क करने के लिए निकल गए। सकोर में बाबा जी को मनाने के लिए संतो के साथ नेताओं के जमावड़े की खबर लगने पर आसपास से मीडिया कर्मियों को भी पहुंचने में देर नहीं लगी इस दौरान पत्रकारों ने स्वामी आत्मानंद सरस्वती जी से भी सवाल जवाब करते हुए उन्हें भी प्रश्नों के कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की।
बताया जा रहा है कि भाजपा से जुड़े संत समुदाय की तरफ से पहुंचे आत्मानंद जी ने पार्टी की दुहाई देते हुए कुसमरिया जी को मलाईदार पद का प्रलोभन भी देते नजर आए। इतना ही नही बाबाजी को मध्यप्रदेश में राज्यसभा के पदों पर चर्चा करने की भी बात करते रहे। इस दौरान किसी ने उन्हें टोकने की कोशिश की। लेकिन स्वामी जी बाबा के पीछे पीछे उनके कान में से गुफ्तगू करते रहे। भाजपा और कुसमरिया जी के बीच में पूरी तरह से मध्यस्थता के मूड में नजर आ रहे स्वामी आत्मानंद सरस्वती ने कुसमरिया को मनाने के लिये आज सुबह दमोह आये भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा से भी फोन पर बात कराई। इस दौरान बाबा जी ने प्रभात झा को मोबाइल पर हां हूं करते हुए चुप्पी साध ली। जिसे झा साहब यह मानकर चलते रहे बाबाजी मान गए हैं।
जबकि स्वामी आत्मानन्द सरस्वती जी भाजपा के दूत के रूप में कुसमरिया जी को मनाने के लिए करीब एक घण्टे तक उनके घर और बगीचे में जद्दोजहद करते रहे। बाद में बाबा जी ग्रामीण क्षेत्र में जनसंपर्क पर निकल गए। इस दौरान पत्रकारों ने जब स्वामी जी सेे सवाल जवाब किये तो वह कहने सेे भी नहीं चूके की यदि बाबा जी निर्दलीय भी लड़ेंगे तब भी संत समाज उनके साथ खड़ा रहेगा।
भड़काने वाले बड्डा की भी नहीं सुन रहे बाबा जी-
बाबा जी को मनाने में के लिए पहुंचने वालों में जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल भाजपा नेता बहादुर पटेल सहित कुर्मी समाज के अनेक लोग शामिल रहे। परंतु यह सभी लोग बाबा जी को नामांकन वापसी के मामले में मनाने में मायूस होते नजर आए दरअसल बाबा का कहना था कि जब यही सब करना था तो क्या उनको आगे करके नामांकन पत्र दाखिल करवाया। बता दें कि पथरिया क्षेत्र से टिकट की चाह रखने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष इसकी टोपी उसके सर करने के चक्कर में बाबाजी का नामांकन भराने वालो में मुख्य रहे है।
बाबाजी नहीं माने तो पथरिया में पतली हालत-
पूर्व मंत्री और कुर्मी समाज के अलावा अन्य सभी समाजों पर अपने सीधे सरल स्वभाव का असर रखने वाले रामकृष्ण कुसमरिया यदि निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में डटे रहे तो दमोह में भले ही भाजपा की सेहत पर कोई खास असर नहीं पड़े लेकिन पथरिया में पार्टी की हालत एकदम पतली होना तय है। क्योंकि लखन पटेल से वोटरों की नाराजगी और बाबा की बगावत के बीच कांग्रेस प्रत्याशी के भी कुर्मी समाज से होने के कारण बसपा का हाथी दौड़ में सबसे आगे बना हुआ है। तथा उम्मीद की जा रही है की सपा की साइकिल इसका पीछा करती नजर आएगी। अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट
दमोह। बुंदेलखंड के शहर के नाम से विख्यात बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष कई बार के सांसद और विधायक पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया को पथरिया से भाजपा की टिकट नहीं देना पार्टी को अब महंगा पड़ता जा रहा है। पार्टी प्रत्याशी लखन पटेल की हालत नाम वापसी के पहले ही पतली नजर आने लगी है। वही बाबा जी दमोह तथा पथरिया से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन वापस निकालने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा दमोह आकर यह कह चुके हैं बाबाजी मान जाएंगे।
प्रभात झा- बाबाजी के बीच मध्यस्थ बने आत्मानंद-
मंगलवार को दमोह पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने पार्टी के स्टार प्रचारक और पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया से मोबाइल पर चर्चा की तथा बाद में स्वामी आत्मानंद सरस्वती में सकोर पहुंचकर बाबाजी और प्रभात झा के बीच मध्यस्थ ता का प्रयास भी किया लेकिन बताया जा रहा है बात नहीं बनी और बाबाजी ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंपर्क करने के लिए निकल गए। सकोर में बाबा जी को मनाने के लिए संतो के साथ नेताओं के जमावड़े की खबर लगने पर आसपास से मीडिया कर्मियों को भी पहुंचने में देर नहीं लगी इस दौरान पत्रकारों ने स्वामी आत्मानंद सरस्वती जी से भी सवाल जवाब करते हुए उन्हें भी प्रश्नों के कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की।
बताया जा रहा है कि भाजपा से जुड़े संत समुदाय की तरफ से पहुंचे आत्मानंद जी ने पार्टी की दुहाई देते हुए कुसमरिया जी को मलाईदार पद का प्रलोभन भी देते नजर आए। इतना ही नही बाबाजी को मध्यप्रदेश में राज्यसभा के पदों पर चर्चा करने की भी बात करते रहे। इस दौरान किसी ने उन्हें टोकने की कोशिश की। लेकिन स्वामी जी बाबा के पीछे पीछे उनके कान में से गुफ्तगू करते रहे। भाजपा और कुसमरिया जी के बीच में पूरी तरह से मध्यस्थता के मूड में नजर आ रहे स्वामी आत्मानंद सरस्वती ने कुसमरिया को मनाने के लिये आज सुबह दमोह आये भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा से भी फोन पर बात कराई। इस दौरान बाबा जी ने प्रभात झा को मोबाइल पर हां हूं करते हुए चुप्पी साध ली। जिसे झा साहब यह मानकर चलते रहे बाबाजी मान गए हैं।
जबकि स्वामी आत्मानन्द सरस्वती जी भाजपा के दूत के रूप में कुसमरिया जी को मनाने के लिए करीब एक घण्टे तक उनके घर और बगीचे में जद्दोजहद करते रहे। बाद में बाबा जी ग्रामीण क्षेत्र में जनसंपर्क पर निकल गए। इस दौरान पत्रकारों ने जब स्वामी जी सेे सवाल जवाब किये तो वह कहने सेे भी नहीं चूके की यदि बाबा जी निर्दलीय भी लड़ेंगे तब भी संत समाज उनके साथ खड़ा रहेगा।
भड़काने वाले बड्डा की भी नहीं सुन रहे बाबा जी-
बाबाजी नहीं माने तो पथरिया में पतली हालत-
पूर्व मंत्री और कुर्मी समाज के अलावा अन्य सभी समाजों पर अपने सीधे सरल स्वभाव का असर रखने वाले रामकृष्ण कुसमरिया यदि निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में डटे रहे तो दमोह में भले ही भाजपा की सेहत पर कोई खास असर नहीं पड़े लेकिन पथरिया में पार्टी की हालत एकदम पतली होना तय है। क्योंकि लखन पटेल से वोटरों की नाराजगी और बाबा की बगावत के बीच कांग्रेस प्रत्याशी के भी कुर्मी समाज से होने के कारण बसपा का हाथी दौड़ में सबसे आगे बना हुआ है। तथा उम्मीद की जा रही है की सपा की साइकिल इसका पीछा करती नजर आएगी। अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट
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