श्मशान घाट में चिता में हलचल देख डॉ को बुलाया-
दमोह। एक व्यक्ति की मौत के बाद श्मशान घाट में अर्थी पहुँच जाने के बाद चिता सज चुकी थी। अचानक शव में कुछ हलचल देखकर तत्काल डॉ को बुलाया गया। एक नही दो डॉक्टरो ने जांच की । और उसके बाद शव को जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया। जहां भी जांच का दौर चलता रहा। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि हकीकत है, जो नवरात्र सप्तमी को मिली सामने आई और सैकड़ों लोग इसके साक्षी बने। लेकिन अंत में वही हुआ जिसकी आशंका बनी हुई थी।
दरअसल खजरी मोहल्ला निवासी होमगार्ड सैनिक दयाशंकर नायक 56 वर्ष कुछ समय से बीमार थे। मंगलवार सुबह उनकी सांसें थम गई। जिसके बाद रिश्तेदारों को सूचना दी गई और दोपहर में अंतिम यात्रा किल्लाई नाका मुक्ति धाम पहुंची। फूलों से सजी फूलों से सजी अर्थी को चिता के ऊपर रखा जा चुका था। अचानक लोगों ने शव में कुछ हलचल देखी और तत्काल डॉक्टर को बुलाया गया।
दमोह। एक व्यक्ति की मौत के बाद श्मशान घाट में अर्थी पहुँच जाने के बाद चिता सज चुकी थी। अचानक शव में कुछ हलचल देखकर तत्काल डॉ को बुलाया गया। एक नही दो डॉक्टरो ने जांच की । और उसके बाद शव को जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया। जहां भी जांच का दौर चलता रहा। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि हकीकत है, जो नवरात्र सप्तमी को मिली सामने आई और सैकड़ों लोग इसके साक्षी बने। लेकिन अंत में वही हुआ जिसकी आशंका बनी हुई थी।
दरअसल खजरी मोहल्ला निवासी होमगार्ड सैनिक दयाशंकर नायक 56 वर्ष कुछ समय से बीमार थे। मंगलवार सुबह उनकी सांसें थम गई। जिसके बाद रिश्तेदारों को सूचना दी गई और दोपहर में अंतिम यात्रा किल्लाई नाका मुक्ति धाम पहुंची। फूलों से सजी फूलों से सजी अर्थी को चिता के ऊपर रखा जा चुका था। अचानक लोगों ने शव में कुछ हलचल देखी और तत्काल डॉक्टर को बुलाया गया।
strong>पहले एक युवा डॉक्टर ने श्मशान घाट पहुंचकर चिता पर फूलों से सजी अर्थी में दयाशंकर की बॉडी की जांच की उन्हें भी कुछ बॉडी में गर्मी महसूस हुई और फिर कुछ ही देर में शहर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर बीएम संगतानी को भी मुक्तिधाम बुला लिया गया। उन्होंने भी जांच की और सांसे लौटने की संभावना देख कर बॉडी को जिला अस्पताल ले जाने का मशविरा दिया।
कुछ ही देर में एंबुलेंस से दयाशंकर की बॉडी को जिला अस्पताल लाया गया और डॉक्टरों की टीम पूरी तन्मयता के साथ दयाशंकर की टूटी हुई सांसो को वापस लाने के प्रयास में जुट गई। ईसीजी वगैरह करके भी जांच का दौर देर तक चलता रहा। लेकिन एक बार उखड़ चुकी सांसे दोबारा नहीं लौटी और अंत में हार कर डॉक्टर दीपक व्यास को दयाशंकर को मृत घोषित करना पड़ा। इसके बाद पुनः उनका शव मुक्ति धाम पहुंचा। जहां अंतिम संस्कार किया गया।
करीब 2 घंटे तक चले इस पूरे घटनाक्रम के दौरान शमशान घाट से लेकर अस्पताल तक परिजनों की सांसे थमी रही। भगवान से दयाशंकर के जीवित होने की दुआ मांगते रहे। लेकिन परमपिता परमेश्वर को शायद कुछ और ही मंजूर था। शायद इसीलिए उन्होंने नवरात्र सप्तमी के पावन दिन दयाशंकर की आत्मा को अपने चरणों में बुला लिया था। जो फिर वापस भूलोक पर आने को तैयार नहीं हुई। परिजनों को यह गहन दुख सहने की शक्ति प्राप्त हो, इसी भावना के साथ ओम शांति शांति शांति..
अटल राजेंद्र जैन की रिपोर्ट
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